इंडिया टुडे एजुकेशन समिट-2015 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में शिक्षा की दशा और दिशा को लेकर दिल खोलकर बात की. उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र का दोनों बाहें खोलकर स्वागत है.
उन्होंने कहा, 'हमारी कोशिश है कि सरकार और निजी क्षेत्र दोनों मिलकर काम करें.' हम पहले ही फैसला कर चुके हैं कि इंदौर की देवी अहिल्याबाई यूनिवर्सिटी देश की शीर्ष दस यूनिवर्सिटियों में शामिल हो. इसके अलावा, दुनिया की टॉप 100 यूनिवर्सिटियों में मध्य प्रदेश की कोई यूनिवर्सिटी भी अपना स्थान बनाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र से यह उम्मीद करना कि वह पूरी तरह मुफ्त शिक्षा देगा या शिक्षा पर आने वाला खर्च छात्र से नहीं लेगा, ज्यादती होगी. इसलिए प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि गरीब वर्ग के निजी कॉलेजों में पढ़ रहे छात्रों की पूरी फीस राज्य सरकार देगी.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'दूसरी बात यह कि पेशेवर शिक्षा में महंगी फीस चुकाने के लिए बच्चों को जो बैंक लोन मिलता है, उसकी बैंक गारंटी देने की हैसियत छात्रों के मां-बाप की नहीं होती. इसलिए यह लोन छात्रों को नहीं मिल पाता. मध्य प्रदेश ने व्यवस्था की है कि इन बच्चों की लोन गारंटी राज्य सरकार लेगी. ऐसा करने से सरकार पर तुरंत बड़ी संख्या में तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थान खोलने का भारी खर्च नहीं आएगा.' मुख्यमंत्री ने शिक्षा के क्षेत्र में विदेशी यूनिवर्सिटियों के सहयोग का भी स्वागत करने की बात कही.