बजट में आम जनता को क्या मिलेगा, क्या नहीं इसका फैसला तो बजट पेश होने के बाद ही पता चलेगा. लेकिन उससे पहले जानते हैं बजट से संबंधी कुछ ऐसे शब्दों के अर्थ, जिनके बारे में हमने सुना तो है लेकिन वास्तविक मतलब शायद ही जानते हों.
GDP
एक वर्ष में उत्पादित हर तरह की वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के संयुक्त बाजार मूल्य को जीडीपी कहा जाता है. चूंकि इससे बाजार के विकास की गति पता चलती है, इसलिए इसे अर्थव्यवस्था का सूचक भी कहा जाता है. हर वित्तीय वर्ष में देश के लिए जो विकास दर निर्धारित की जाती है, वह जीडीपी में होने वाली बढ़ोतरी होती है.
Financial Year
वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है. यह वह वर्ष होता है जो वित्तीय मामलोँ में हिसाब के लिए आधार होता है.
Fiscal deficit
सरकार की कुल आय और व्यय में अंतर को आर्थिक शब्दावली में ‘राजकोषीय घाटा’ कहा जाता है. इससे इस बात की जानकारी होती है कि सरकार को कामकाज चलाने के लिए कितने उधार की जरूरत होगी. कुल राजस्व का हिसाब-किताब लगाने में उधार को शामिल नहीं किया जाता है. यानी सरकार के खर्च और आमदनी के अंतर को वित्तीय घाटा या बजटीय घाटा कहा जाता है.
Finance Bill
इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री सरकारी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों आदि का प्रस्ताव करते हैं. इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी तरह का संशोधन आदि को प्रस्तावित किया जाता है. संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लागू किया जाता है.
Direct tax
डायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है, जो व्यक्तियों और संगठनों की किसी भी स्रोत से हुई इनकम पर लगाई जाता है. निवेश, वेतन, ब्याज आदि. इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स आदि डायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.
Indirect tax
इनडायरेक्ट टैक्स वह टैक्स होता है जो ग्राहकों द्वारा सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने के दौरान उन पर लगाया जाता है. कस्टम ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी आदि इनडायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.
Custom Duty
कस्टम्स ड्यूटी वह चार्ज होता है जो देश में आयात होने वाले सामान पर लगाया जाता है.
Excise Duty
एक्साइज ड्यूटी वह चार्ज होता है जो देश के भीतर बनाए जाने वाले सामान पर लगाया जाता है.
Service tax
सेवा कर (सर्विस टैक्स) बाजार में मौजूद कई तरह सेवाओं, जैसे मोबाइल, सलून, कोचिंग, रेस्त्रां वगैरह की सेवाओं को लेने के बदले कुछ मात्रा में शुल्क देना पड़ता है. इसी को सर्विस टैक्स कहते हैं. पिछले बजट में इसे 12.36 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया गया था.
Public expenditure
सरकारी व्यय को दो हिस्सों में बांटा जाता है- योजनागत व्यय और गैर योजनागत व्यय.
योजनागत व्यय में वे सभी व्यय आते हैं, जो विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं पर किया जाता है.
इसका एस्टिमेट विभिन्न मंत्रालयों और योजना आयोग द्वारा मिल कर बनाया जाता है.
गैर योजनागत व्यय के दो हिस्से होते हैं- गैर योजनागत राजस्व व्यय और गैर योजनागत पूंजीगत व्यय. गैर योजनागत राजस्व व्यय में ब्याज की अदायगी, सब्सिडी, सरकारी कर्मचारियों को वेतन की अदायगी, राज्य सरकारों को अनुदान, विदेशी सरकारों को दिए जाने वाले अनुदान आदि शामिल होते हैं. वहीं गैर योजनागत पूंजीगत व्यय में रक्षा, पब्लिक इंटरप्राइजेज को दिया जाने वाला कर्ज, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और विदेशी सरकारों को दिया जाने वाला कर्ज आदि शामिल होता है.
Subsidies
सरकार द्वारा व्यक्तियों या समूहों को नकदी या कर से छूट के रूप में दिया जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है. भारत में इसका इस्तेमाल लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए किया जाता है. सरकार डीजल और एलपीजी जैसे कई चीजों पर सब्सिडी देकर ग्राहकों काे लाभ पहुंचाती है.
Balance Sheet
बैंलेस शीट में सरकार को साल भर में टैक्स के जरिए प्राप्त होने वाली आमदनी और उसके द्वारा किया जाने वाले खर्च का पूरा ब्यौरा होता है.
Capital Asset
जब कोई व्यक्ति बिजनेस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से किसी चीज में निवेश करता है या खरीदारी करता है तो इस रकम से खरीदी गई प्रॉपर्टी कैपिटल एसेट कहलाती है. यह बॉन्ड, शेयर मार्केट और रॉ मैटेरियल में से कुछ भी हो सकता है.
Assessment Year
कर निर्धारण वर्ष किसी वित्तीय वर्ष का अगला वर्ष होता है. जैसे 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 अगर वित्तीय वर्ष है तो कर निर्धारण वर्ष 1 अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक होगा.