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इंजीनियरिंग छोड़कर अब इस काम से लाखों रुपये कमा रहा है ये लड़का

इन अनोखे काम से ये लड़का कमा रहा है लाखों रुपये.

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अजय नायक
अजय नायक

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खेती की ओर लगातार युवाओं का रुझान बढ़ता रहा है. आज ऐसे ही लड़के की कहानी बताने जा रहे हैं. जिन्होंने हाइड्रोपोनिक फार्मिंग करने के लिए अपनी सॉफ्टवेयर कंपनी को बेच दिया. गोवा में रहने वाले अजय नायक को हमेशा ये बात परेशान करती थी अगर वह खेती करेंगे, तो लोग क्या कहेंगे. लेकिन उन्होंने अपने दिल की सुनी और खेती में करियर बनाया.

ऐसे शुरू किया करियर

अजय कर्नाटक के रहने वाले हैं. इंजीनियरिंग करने के बाद नौकरी की तलाश में वह गोवा पहुंच गए थे. जहां उन्होंने 2011 में अपनी मोबाइल एप्लीकेशन निर्माता कंपनी की शुरुआत की. जिसके बाद उनकी इस कंपनी ने काफी अच्छा बिजनेस किया. लेकिन एक सफल कंपनी के मालिक होने के बावजूद वे हमेशा रासायनिक तरीके से पैदा की गई सब्जियों को लेकर टेंशन में रहते थे. जिसके बाद उन्होंने सोचा कि जैविक विधि से खेती करने के साथ ही क्यों न किसानों को जागरूक भी किया जाए.

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जिसके बाद वह खेती से संबंधित चीजों के बारे में पढ़ने लगे. उन्होंने पुणे (महाराष्ट्र) के एक हाइड्रोपोनिक फार्मर से ट्रेनिंग ली. ट्रेनिंग लेने के बाद साल 2016 में उन्होंने अपनी सॉफ्टवेयर कंपनी कोे खेती के लिए बेच दिया.

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क्या है हाइड्रोपोनिक खेती

फसल उगाने की इस तकनीक में मिट्टी की जगह पानी ले लेता है. इसके अलावा इसमें पानी का भी उतना ही इस्तेमाल किया जाता है, जितनी फसल को जरूरत हो. पानी की सही मात्रा और सूरज के प्रकाश से पौधे अपना विकास करते हैं. इसमें अलग-अलग चैनल बना कर पोषक तत्त्वों युक्त पानी पौधों तक पहुंचाया जाता है.

लाखों रुपये में होती है कमाई

अजय को खेती के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. लेकिन कृषि फार्म में उन्होंने और उनकी टीम ने दिन-रात मेहनत की. आज अजय और उनकी टीम अपने कृषि फार्म की ऑर्गैनिक सब्जियों से हर महीने लाखों रुपए की कमाई करती है.

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आज अजय की टीम हाइड्रोपोनिक फार्मिंग में अच्छे से जुट गई है. इस फार्म में फिलहाल वह सलाद से संबंधित वनस्पति ही उगा रहे हैं. आगे चल कर उसका खीरा, शिमला मिर्च और स्ट्राबेरी उगाने का भी इरादा है. उनके फार्म की सब्जियों की डिमांड राज्य के फाइव स्टार होटलों, सुपर मार्केट और कृषक बाजारों में काफी है.

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अजय ने बताया कि खेती की इस तकनीक में शुरुआती समय में लागत काफी ज्यादा आती है, लेकिन बाद में फायदा जरूर होता है. उन्होंने कहा देश में खाना सब चाहते हैं, लेकिन उगाना कोई नहीं चाहता.

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