शारीरिक रूप से अक्षम स्टूडेंट्स एग्जाम के दौरान 'राइटर' का इस्तेमाल कर सकेंगे. बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में यह फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस मोहित शाह ने इस मामले को लेकर सेंट्रल एचआरडी मंत्रालय, एनआईओएस डायरेक्टर, पुणे को पत्र लिखा है.
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दरअसल डॉक्टर हरीश शेट्टी और संघनायक ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था जिसमें बताया गया था कि पुणे एनआईओएस डायरेक्टर द्वारा शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों के अधिकारों का हनन हो रहा है.उनका कहना था कि 10वीं और 12वीं के नेशनल स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के एग्जाम में विकलांग स्टूडेंट्स को राइटर का इस्तेमाल करने के लिए मना किया जा रहा है.
स्टूडेंट्स के पास मेडिकल अथॉरिटी के पूरे प्रमाणपत्र हैं. पहले इन्हें एनआईओएस द्वारा अप्रैल 2014 और अक्टूबर 2014 के सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी एग्जाम में राइटर लेने की अनुमति दी गई थी. लेकिन एग्जाम से ठीक 10 दिन पहले इनके पैरेंट्स को एनआईओएस के डायरेक्टर का पत्र मिला जिसमें लिखा था कि इन स्टूडेंट्स को राइटर की जगह एकस्ट्रा टाइम दिया जाएगा.
इस पूरे मामले को लेकर स्टूडेंट्स के पैरेंट्स एनआईओएस डायरेक्टर से मिले, लेकिन कुछ समाधान नहीं निकला. फिलहाल कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 6 अप्रैल की तारीख रखी है जिसमें एनआईओएस डायरोक्टर पुणे और संबंधित लोगों को जवाब देना है.