इसरो ने अंतरिक्ष में अब तक की सबसे ऊंची उड़ान बुधवार को भरी. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग सेंटर से पीएसएलवी-सी37 लॉन्च किया गया. 9 बजकर 28 मिनट पर 104 सैटेलाइट्स का प्रक्षेपण हुआ. 10: 02 मिनट पर इसरो की ओर से इस मिशन के कामयाब होने का ऐलान किया गया. बता दें कि ये पहला मौका है जब एक साथ 104 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े गए. इनमें अमेरिका के अलावा इजरायल, हॉलैंड, यूएई, स्विट्जरलैंड और कजाकिस्तान के छोटे आकार के सैटेलाइट शामिल हैं. भारत के सिर्फ तीन सैटेलाइट शामिल हैं.
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर श्रीहरिकोटा कैसी जगह है, जहां से इसरो सारे सैटेलाइट लॉन्च करता है. हम आपको बताते हैं. दरअसल, ये एक द्वीप है, जो आंध्र प्रदेश में है. इसरो को ये इसलिए पसंद है क्योंकि ये पूर्व दिशा की तरफ लॉन्चिंग में फायदेमंद जगह मानी जाती है.
104 सैटेलाइट लॉन्च: रिकॉर्ड ही नहीं सौ करोड़ का फायदा भी करवाएगा #ISRO
इसे कब चुना गया
1969 में इस जगह को सैटलाइट लॉन्चिंग स्टेशन के रूप में चुना गया. फिर 1971 में RH-125 साउंडिंग रॉकेट लॉन्च किया गया. पहला ऑर्बिट सैटलाइट रोहिणी 1A था, जो 10 अगस्त 1979 को लॉन्च किया गया लेकिन खामी की वजह से 19 अगस्त को नष्ट हो गया.
क्यों खास है ये जगह
इसकी लोकेशन ही इसका यूएसपी है. इक्वेटर से करीबी यहां की खासियत है. ये जगह पूर्व दिशा की ओर की जाने वाली लॉन्चिंग के लिए बेहतरीन मानी जाती है. पूर्वी तट पर स्थित होने से इसे अतिरिक्त 0.4 km/s की वेलोसिटी मिलती है. गौरतलब है कि ज्यादातर सैटलाइट पूर्व की तरफ ही लॉन्च किए जाते हैं. इस जगह आबादी नहीं है. यहां या तो इसरो के लोग रहते हैं या फिर स्थानीय मछुआरे.
आज लॉन्च 104 सैटेलाइट्स में शामिल 3 भारतीय उपग्रह, जानें क्या हैं फायदे?
कैसे पहुंचे यहां
ये नेशनल हाइवे (NH-5) पर है. सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन 20 किलोमीटर दूर है. नजदीक शहर सुल्लुर्पेता है, यही सबसे पास का रेलवे स्टेशन भी है. चेन्नई के इंटरनेशनल पोर्ट से ये जगह 70 किलोमीटर दूर पड़ती है.
आप भी देख सकते हैं इसे
इसरो से परमशिन लेकर इस लॉन्चिंग पैड को देखा जा सकता है. हर बुधवार को विजिटर्स को यहां ले जाया जाता है.