प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडिया कार्यक्रम 'मन की बात' में एक महिला की तारीफ की है, जिन्होंने अपनी स्मृति के आधार पर ही पांच सौ हर्बल मेडिसिन बनाई हैं. केरल की आदिवासी महिला लक्ष्मीकुट्टी कल्लार में शिक्षिका हैं और अब भी घने जंगलों के बीच आदिवासी इलाके में ताड़ के पत्तों से बनी झोपड़ी में रहती हैं. लक्ष्मीकुट्टी ने जड़ी-बूटियों से दवाइयां बनाई है और सांप काटने के बाद उपयोग की जाने वाली दवाई बनाने में उन्हें महारत हासिल है.
लक्ष्मी हर्बल दवाओं की अपनी जानकारी से लगातार समाज की सेवा कर रही हैं. इस गुमनाम शख्सियत को पहचान कर समाज में इनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. लक्ष्मी चिकित्सक के साथ कवयित्री और केरल लोक साहित्य अकादमी में शिक्षिका की भूमिका भी निभाती हैं. बहुत से लोग प्यार से लक्ष्मीकुट्टी को वनामुथस्सी नाम से भी पुकारते हैं.
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्हें जंगल की दादी मां कहा जाता है. बताया जाता है कि वो 500 लोगों का इलाज कर चुकी हैं. हालांकि लिखित आंकड़ा न होने के कारण वह बस इसे अपनी याद्दाश्त से ही बता पाती हैं. 1995 में लक्ष्मीकुट्टी को उस समय पहचान मिली जब केरल सरकार ने उन्हें नट्टू वैद्य रत्न अवार्ड से नवाजा था.
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कहा जाता है कि 1950 में वह जनजातीय समुदाय से पहली लड़की थीं, जिसे स्कूल जाने का मौका मिला था. साथ ही उस वक्त उन्हें स्कूल जाने के लिए 10 किलोमीटर रोजाना पैदल चलना पड़ता था. साथ ही उन्होंने अपनी मां से ये चिकित्सा पद्धति सीखी थी.