मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए आतंकवादी हमले की कवरेज को लेकर मीडिया काफी समय तक विवाद में रहा था. इसी को ध्यान में रखते हुए यूजीसी ने अब से पत्रकारिता के छात्रों को ऐसी घटनाओं की कवरेज के गुर सिखाने को कहा है.
जिस तरह मुंबई के ताज होटल में सेना के साथ मीडियाकर्मी भी अंदर पहुंचे और लाइव कवरेज दिखाया, उसकी उस वक्त उनकी काफी सराहना हुई, लेकिन बाद में इसी पर उनको तीखी आलोचना का सामना भी करना पड़ा . सवाल यह उठा कि लाइव कवरेज के जरिए जो हालात मीडिया ने देश के लोगों को दिखाए, उसी का फायदा देश की सीमा के बाहर बैठे आतंकवादियों के आकाओं ने उठाया.
देश में आतंकवादी घटनाओं के दौरान अपनी समुचित भूमिका से मीडियाकर्मी अवगत हों, इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पहल की है. सभी विश्वविद्यालय को इस बाबत पत्र जारी किया गया है.
पत्र में कहा है कि जिन विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता और जनसंचार की पढ़ाई हो रही है, वहां छात्रों को आतंकी घटनाओं की कवरेज को लेकर आत्मसंयम सीखना चाहिए. उस दौरान ऐसी चीजों को दिखाने से बचें, जो आतंकी की मदद करें.
यूजीसी की ओर से इस बाबत देश के सभी विश्वविद्यालयों को यह पत्र जारी किया है. छोटी सी छोटी धमकी को भी कवर करने में संयम बरतें, इस पर जोर दिया गया है ताकि नई पीढ़ी इन चीजों को गंभीरता से ले.
भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार आयोग ने अपनी आठवीं रिपोर्ट में मीडिया पॉलिसी को शामिल करते हुए कहा कि आतंकी घटनाओं में मीडिया को आत्मसंयम के साथ रिपोर्टिग करनी चाहिए.
एक बयान में कहा गया है कि जिन विश्वविद्यालयों या उनसे संबद्ध महाविद्यालयों में पत्रकारिता और जनसंचार के कोर्स संचालित हो रहे हैं, वहां आतंकवादी वारदातों में मीडिया की भूमिका छात्रों को जरूर बताई जाए. लेकिन ऐसी चीजों को दिखाने से बचना चाहिए, जिससे आतंकवादियों को सीधा फायदा पहुंचता हो. इससे देश के विभिन्न निकायों को आतंकवाद से लड़ने में मदद मिल सकेगी.
इनपुट: IANS