स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर व्यक्ति सोचता है कि वह वाकई आजाद है या नहीं. स्टूडेंट्स भी इससे अलग नहीं है. समय-समय पर स्टूडेंट्स अपनी कुछ मांगों के लिए जंतर-मंतर से लेकर दूसरे जगहों पर आंदोलन और विरोध प्रदर्शन करते हैं. जानिए स्टूडेंट्स अपने लिए स्कूल और कॉलेजों में कैसी आजादी चाहते हैं. इसके लिए हमने कुछ स्टूडेंट्स से बातचीत भी की है, जिनका मानना है कि अगर उन्हें यह आजादी दी गई होती तो आज वो अपनी जिंदगी में और बढ़िया कर सकते थे.
स्टूडेंट्स को चाहिए इन 7 बातों से आजादी.....
1. मयंक बताते हैं कि वे सैनिक स्कूल में पढ़ना चाहते थे. उनका एडमिशन भी हो गया था. लेकिन हर दिन अपने सीनियर्स से पीटने के कारण उन्होंने तंग आकर स्कूल छोड़ दिया. उनका कहना है कि उनका स्कूल एक आर्मी कैंप में तब्दील था. जहां उन्हें किसी बात की आजादी नहीं थी. उनके अनुसार ऐसे स्कूलों में बच्चों का बचपन खत्म किया जाता है. उनकी मांग है कि इन स्कूलों में सीनियर्स की दबंगई को खत्म किया जाए.
2. रोहित जो अभी पत्रकारिता के पेशे में हैं वे बताते हैं कि आज भी वो लड़कियों से बात करने में झिझकते हैं. उनकी झिझक के पीछे का कारण है कि उनके स्कूल में लड़कियों से बात करने पर एक तरह से पाबंदी लगी हुई थी. यह पाबंदी इतनी सख्त थी कि आज तक उसका असर उन पर है. वे चाहते हैं कि भारत के स्कूलों में टीचर्स को जेंडर सेंसेटिव होना चाहिए और इस तरह की पांबंदी नहीं लगानी चाहिए. स्कूलों में एक आजाद किस्म का मौहाल होना चाहिए.
3. दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले विष्णु कहते हैं कि स्कूल में एक नियम बना हुआ था कि आपको प्रार्थना से पहले स्कूल पहुंचना है और प्राथना करनी है. वे कहते हैं कि उन्हें यह अच्छा नहीं लगता था. उनकी मांग है कि आजादी का ख्याल करते हुए प्राथना करना और न करना स्टूडेंट्स पर छोड़ दिया जाए.
4. कंप्यूटर ऑपरेटर सपना का मानना है कि स्कूल में कई तरह की बोगस किताबी बातें पढ़ाई जाती है, जिनका प्रैक्टिकल लाइफ में कोई मतलब नहीं होता. ऐसी बोगस बातों से उन्हें आजादी चाहिए.
5. कॉलेज स्टूडेंट्स राजेश का कहना है कि इस देश में आसानी से एजुकेशन लोन मिलने की बात कहना बेवकूफी है. सच्चाई यह है कि यहां काफी जूते घीसने के बाद लोन मिलता है. वे चाहते हैं कि स्टूडेंट्स को कोर्स के खर्चे के मुताबिक लोन लेने की आजादी होनी चाहिए.
6. SSC की तैयारी कर रही पुष्पलता कहती हैं कि उनके कॉलेज में कहीं लिखित में तो नहीं बताया गया था कि जींस पर पाबंदी है लेकिन कॉलेज में जींस पहनना एक तरह से नियम तोड़ने जैसा था और कुछ टीचर्स इसका जमकर विरोध करते थे. वह चाहती हैं कि ऐसे दकियानूसी सोच वाले टीचर्स पर कार्रवाई करके स्टूडेंट्स को इन दकियानूसी चीजों से आजादी दिलाई जाए.
7. बीएचयू में पढ़ने वाले जितेंद्र बताते हैं कि कॉलेजों में कई ऐसे शिक्षक होते हैं जो पढ़ाने में बिल्कुल अच्छे नहीं होते. वे सैकड़ों स्टूडेंट्स का भविष्य बर्बाद करते हैं. हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए वे कहते हैं कि FTII के स्टूडेंट्स लगातार चेयरमैन के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं फिर भी चेयरमैन को बदला नहीं जा रहा. स्टूडेंट्स के पास इस बात की आजादी होनी चाहिए कि उन्हें सिर्फ और सिर्फ अच्छे शिक्षक ही पढ़ाने के लिए आएं और शिक्षा को राजनीतिकरण से भी आजादी दिलानी चाहिेए.