टेनिस के खेल में सोमदेव देववर्मन ने जो उपलब्धि हासिल की, उसे पाने की ख्वाहिश लाखों लोग करते हैं. सोमदेव ने साल 2008 में टेनिस में पदार्पण किया था, तब से वह भारत के स्टार सिंगल्स खिलाड़ी रहे. सोमदेव आखिरी बार 2 साल पहले यूएसए एफ10 में खेलने उतरे थे.
सोमदेव ने प्रोफेशनल टेनिस से संन्यास ले लिया. इस मौके पर हम उनकी सफलता के बारे में बता रहे हैं.
उन्होंने 2008 में डेविस कप से आगाज किया. उसके बाद से लगातार वो भारत के सिंगल्स अभियान का नेतृत्व करते रहे हैं. उन्होंने 14 रबर में भारत का प्रतिनिधित्व किया. इस दौरान सोमदेव ने चेक गणराज्य के जिरी वेसली और सब्रिया के डूसन लायोविच जैसे खिलाड़ियों को हराया . 2010 में भारत वर्ल्ड ग्रुप में पहुंचाने में सोमदेव का बड़ा रोल रहा.
सोमदेव का आना भारतीय टेनिस में बड़ा सुखद था, जहां हमेशा सिंगल्स खिलाड़ियों को अभाव रहा. अपनी लगन और बेहतरीन प्रदर्शन के चलते 2009 में सोमदेव चेन्नई ओपन और 2011 में साउथ अफ्रीका ओपन के फाइनल में पहुंचे थे. 1998 में लिएंडर पेस के टुअर इवेंट जीतने के बाद किसी भारतीय का सिंगल्स में यह बेस्ट प्रदर्शन है.
31 साल के खिलाड़ी का करियर 2012 में कंधे की चोट के बाद थम सा गया. जिसके बाद लगातार चोटों ने सोमदेव को घेरे रखा. अब भले ही उन्होंन रिटायरमेंट की घोषणा कर दी है लेकिन उनका टेनिस सफर देश के कई बच्चों को सोमदेव जैसा बनने की प्रेरणा दे गया है!