हरिकिशन पिप्पल को अपने कठोर परिश्रम और हार न मानने के जज्बे की वजह से वो कामयाबी मिली, जिसके वे सही मायने में हकदार हैं. उन्होंने संघर्ष और कड़ी मेहनत के बूते कामयाबी की राह पकड़ी और पीछे मुड़कर नहीं देखा. किसी ने सही कहा है कि इरादे यदि मजबूत हों और हौसले बुलंद हों कामयाबी पाने से दुनिया की कोई ताकत आपको नहीं रोक सकती.
जानें कौन हैं हरिकिशन पिप्पल
आज करोड़ों के मालिक हरिकिशन पिप्पल का जन्म एक गरीब और दलित परिवार में हुआ था. पिता की जूता मरम्मत (मोची) करने की दुकान थी. पर इससे घर का खर्च नहीं चल पाता था. यहां तक कि दो वक्त की रोटी नसीब हो जाए, ये बड़ी बात थी.
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अपने घर के हालात को देखते हुए हरिकिशन पिप्पल मजदूरी करने लगे. लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी. दिन में काम करते थे और रात में मन लगाकर पढ़ाई. लेकिन हरिकिशन जैसे ही 10वीं में पहुंचे उनके पिता की तबियत खराब हो गई. घर की हालात और भी खराब हो गई. घर का खर्च और पिता की दवाओं का बोझ बढ़ गया. ऐसे में परिवार वालों को बिना बताए हरिकिशन ने अपने किसी रिश्तेदार से उधार में साइकिल रिक्शा मांगी और चलाने लगे. कोई पहचान न ले, इसलिए चेहरे पर कपड़ा बांध लेते.
फिर एक दिन हरिकिशन को एक फैक्ट्री में 80 रुपये की तनख्वाह वाली नौकरी मिल गई. उनकी पत्नी की सलाह पर हरिकिशन ने कुछ समय बाद बैंक से 15 हजार रुपये कर्ज लेकर अपनी पुरानी दुकान को ही दोबारा शुरू कर दिया. हालांकि पारिवारिक विवाद के कारण हरिकिशन और उनके परिवार को घर छोड़ना पड़ा. लेकिन उन्होंने अपने सपने का दामन नहीं छोड़ा.
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एक दिन हरिकिशन की जिंदगी में टर्निंग प्वॉइंट आया और उन्हें स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन से 10 हजार जोड़ी जूता बनाने का ऑडर मिला. इसके बाद हरिकिशन ने पीछे पलटकर कभी नहीं देखा. हरिकिशन के पास इसके बाद बाटा से भी ऑर्डर आने लगा और इसी बीच उन्होंने पीपल्स एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी लॉन्च की, जिसमें वो अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के लिए जूते तैयार करने लगे.
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हरिकिशन यहीं नहीं रुके. उन्होंने रेस्टोरेंट खोला और शादीखाना भी बनाया. हेल्थकेयर सेक्टर में उन्होंने साल 2001 में Heritage People's Hospital की स्थापना की. इसके अलावा उन्होंने वाहन डीलरशिप और पब्लिकेशन फर्म में भी अपनी पैठ जमाई. अपनी मेहनत और दूरदर्शिता के आधार पर हरिकिशन ने कामयाबी का परचम लहराया. इनकी कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ से ज्यादा है.