महिला हॉकी एशिया कप में भारत ने चीन को हराते हुए चैंपियनशिप अपने नाम की है. इसमें सविता पूनिया का अहम योगदान रहा और बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्हें बेस्ट गोलकीपर के अवार्ड से सम्मानित किया गया. सविता की इस सफलता के पीछे मुश्किलों भरा रास्ता भी है, जिसे पार कर वो यहां तक पहुंची है.
भारतीय महिला हॉकी टीम की गोलकीपर सविता हरियाणा की रहने वाली हैं. उनका जन्म 11 जुलाई 1990 को हुआ. सविता 18 साल की उम्र से ही भारत के लिए खेल रही हैं और हॉकी खेलने के लिए सविता के दादा जी महिंदर सिंह ने उन्हें प्रोत्साहित किया था. टीम की सबसे होनहार खिलाड़ियों में एक सविता फाइनेंशियली अब भी अपने माता-पिता पर निर्भर हैं. हालांकि उन्होंने पैसो की कमी को कभी भी अपने करियर में रुकावट नहीं बनने दिया.
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अपने करियर की शुरुआत में उनके पास ऑटो से जाने के पैसे नहीं होते थे और किट बड़ा होने की वजह से उन्हें कोई बस में भी नहीं बैठने देता था. हालांकि उन्होंने इन दिक्कतों को दरकिनार करते हुए यह मुकाम हासिल किया है. हालांकि सविता पिछले 9 साल से नौकरी का इंतजार कर रही हैं और हर टूर्नामेंट के बाद उन्हें लगता है कि इस बार उनकी नौकरी लग जाएगी.
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बता दें कि सविता ने साल 2008 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने 2009 में जूनियर एशिया कप में कांस्य पदक हासिल किया था. मलेशिया में साल 2013 में हुए वुमेन एशिया कप में सविता पुनिया की बदौलत ही भारत ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था. सविता का 17 साल की उम्र में नेशनल टीम में सलेक्शन हो गया था. उन्होंने 2009, 2013, 2016 में बेहतर प्रदर्शन किया था.