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आइसक्रीम बनाकर घर से तय किया 700 करोड़ के बिजनेस का सफर

उन्होंने कभी भी अपने काम की शुरुआत चुनौती के तौर पर नहीं की. यह हॉबी ही थी जो बिजनेस में तब्दील हो गई. वे बेहतरीन आइसक्रीम बनाया करती थीं, और सब इसकी तारीफ करते थे.

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Rajni Bector
Rajni Bector

उन्होंने कभी भी अपने काम की शुरुआत चुनौती के तौर पर नहीं की. यह हॉबी ही थी जो बिजनेस में तब्दील हो गई. वे बेहतरीन आइसक्रीम बनाया करती थीं, और सब इसकी तारीफ करते थे. एक दिन उनके मन में विचार आया और वे अपने घर के आंगन में आइसक्रीम बनाने लगीं. यह साल था 1978. उन्होंने 20,000 रु. की लागत से मशीन खरीदी और काम शुरू कर दिया. उनका ध्यान सिर्फ एक चीज पर था, और वह थी क्वालिटी.

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वे क्वालिटी को ही अपनी असल चुनौती मानती थीं, और इसी पर डटे रहना अपने बिजनेस की पहली जरूरत भी. यही वजह थी कि उन्होंने अपने उत्पादों से कभी समझौता नहीं किया और सब कुछ अपने स्टाफ के भरोसे नहीं छोड़ा.

वे हर काम खुद करती थीं. उस समय बच्चे छोटे थे और वे उनके जीवन को कतई प्रभावित नहीं करना चाहती थीं. इसलिए वे रात के समय काम करती थीं. वे कहती हैं, 'मैंने सबसे पहले आइसक्रीम, केक पुडिंग से शुरुआत की. उसके बाद ब्रेड बिस्कुट और आखिर में सॉस तक का सफर तय किया.'

उनके इस काम को अच्छी शुरुआत मिली और यह लोगों को पसंद आया. हालांकि शुरुआती मार्केटिंग का काम माउथ पब्लिसिटी ने ही किया. उनके मुताबिक, 'जब मैंने काम शुरू किया उस समय लुधियाना में पुरुष बहुल समाज था. उस समय किसी संभ्रांत परिवार से काम करने वाली मैं पहली महिला थी.'

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लोग पूरी तरह से मेरे खिलाफ थे. लेकिन उनके पति धरमवीर और उनके परिवार ने उनका भरपूर साथ दिया. उन्होंने लुधियाना से बाहर 1988 में 20 लाख रु. के लोन से ब्रेड बनाने की इकाई स्थापित की. इस तरह मिसेज बेक्टर्स क्रेमिका की शुरुआत हुई. 1991 आते-आते उनका यह कारोबार बड़ा रूप ले चुका था.

उन्होंने क्वालिटी को बनाए रखा और हर दिन के साथ उनके ब्रांड की लोकप्रियता में इजाफा होता चला गया. उन्होंने 1995 में अमेरिका की क्वेकर ओट्स के साथ संयुक्त उपक्रम स्थापित किया. 1996 में उनकी कंपनी वेजिटेरियन मेयोनेज बनाने वाली पहली कंपनी बनी.

यही वह साल था जब उनकी कंपनी के साथ मैक्डॉनल्ड ने हाथ मिलाया और आज उनकी कंपनी मैक्डॉनल्ड, सबवे, केंटकी फ्राइड चिकन और डोमिनोज पिज्जा को अपने उत्पादों की आपूर्ति करती है. यही नहीं, 2008 में उनकी कंपनी ने मेयोनेज निर्यात करने वाली पहली कंपनी के तौर पर पहचान बनाई. 2011 में यह फूड सर्विसेज की सबसे बड़ी सप्लायर बन गई.

सीधा-सादा जीवन जीने में यकीन करने वाली रजनी के तीन बेटे हैं, अजय, अक्षय और अनूप. रजनी का जन्म कराची में हुआ था और विभाजन के बाद वे अपने माता-पिता के साथ भारत आ गई थीं. लेकिन यहां आकर उन्हें अपने माता-पिता के साथ कई तरह की परेशानियों को झेलना पड़ा.

वे बताती हैं, 'जब मैं बच्ची थी तो अपने जीवन से जुड़ी अच्छी-अच्छी चीजों के बारे में ख्वाब देखा करती थी. मैं हर चीज में बेस्ट बनना चाहती थी और हर चीज हासिल भी करना चाहती थी.' उन्होंने दोंनों ही मुकाम हासिल कर लिए हैं.

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संघर्ष
उन्होंने 1978 में अपने आंगन में आइसक्रीम बनाने से शुरुआत की थी. वे दिन में 15-16 घंटे काम करतीं और अपने बिजनेस के लिए पैसा हासिल करना ही उनके लिए सबसे बड़ा संघर्ष था.

टर्निंग प्वाइंट
1996 में उनकी कंपनी ने अमेरिकी कंपनी मैक्डोनल्ड के साथ बन और सॉस की सप्लाई के लिए हाथ मिलाया.

उपलब्धियां
हॉबी के तौर पर शुरू किया गया उनका कारोबार आज 700 करोड़ रु. से ऊपर पहुंच गया है.

दुनिया भर के बड़े-बड़े फूड रिटेल कर रहे हैं इनके बन और सॉस का इस्तेमाल.

कामयाबी के कारक

मेरा मंत्र
'कर्म ही पूजा है.'

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