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20 साल बाद विदेश से लौटे, अब इस अनोखे तरीके से देते हैं शिक्षा

बच्चे स्कूल के दिनों में छुट्टी का इंतजार इसलिए करते हैं कि वो छुट्टी के दिन मौज-मस्ती करेगें, लेकिन हिमाचल पदेश के पालमपुर में बच्चे छुट्टी का इंतजार मौज-मस्ती के लिए नहीं बल्कि एक खास पढ़ाई के लिए करते हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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बच्चे स्कूल के दिनों में छुट्टी का इंतजार इसलिए करते हैं कि वो छुट्टी के दिन मौज-मस्ती करेगें, लेकिन हिमाचल पदेश के पालमपुर में बच्चे छुट्टी का इंतजार मौज-मस्ती के लिए नहीं बल्कि एक खास पढ़ाई के लिए करते हैं. दरअसल पालमपुर में आविष्कार सेंटर फॉर साइंस, मैथ एंड टैक्नोलॉजी में बच्चों को वीकेंड पर साइंस के बारे में पढ़ाया जाता है और यहां विज्ञान क्रिएटिव तरीके से पढ़ाई जाती है.

द बेटर इंडिया के अनुसार 'आविष्कार' में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में गणित और विज्ञान अच्छी तरह से नहीं पढ़ाया जाता और बच्चे घर पर इसकी पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. इसलिए यहां क्रिएटिव तरीके से ये पढ़ाया जाता है. इस संस्थान में कई शिक्षक हैं, लेकिन यहां संध्या और शरत भी बच्चों को पढ़ाई करवाते हैं.

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संध्या और शरत पीएचडी होल्डर हैं और वो 20 साल अमेरिका में काम कर चुके हैं. उन्होंने अमेरिका से भारत आने के बाद यहां के स्कूल की हालत देखी और उन्हें बहुत दुख हुआ. उसके बाद उन्होंने अपनी 6 साल की बच्ची का भी लोकल सरकारी स्कूल में दाखिला करवाया और वहां बच्चों के लिए काम बी करने लगी.

उन्होंने 2012 में आविष्कार की शुरुआत की और अब उनका यह एनजीओ अलग-अलग तरीकों से बच्चों को गणित, फिजिक्स और केमेस्ट्री की पढ़ाई करवाते हैं. वो बच्चों को मॉडल्स के जरिए पढ़ाते हैं और किसी भी टॉपिक को पढ़ाने के लिए क्रिएटिव तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं, जिससे बच्चे आसानी से टॉपिक समझ जाते हैं.

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संध्या के अनुसार उनसे कई विदेशी भी जुड़ना चाहते हैं, लेकिन वो बच्चों को हिंदी में ही पढ़ाते हैं. आविष्कार के लगातार प्रयासों से कई बच्चे अच्छे मुकाम पर भी पहुंच रहे हैं. उसमें से एक कहानी है 15 साल के राजेश्वर की, जो एक कारपेंटर के बेटे हैं और उन्होंने लड़की से जोरदार काम किया है.

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