प्रदूषण के कहर से खांसती- हांफती दिल्ली को निजात दिलाने के लिए हर कोई अपनी तरफ से कोशिश में जुटा है. हालांकि जनता ने अपने ही हाथों से फिजां में जहर घोला और अब हर शख्स यहां मुंह छुपाए घूम रहा है, और बढ़ते प्रदूषण से सबको घबराहट हो रही है.
आईआईटी दिल्ली के तीन छात्रों ने बिल्कुल छोटा नैनो फिल्टर मास्क तैयार किया है जिसकी कीमत सिर्फ दस रुपये है. मास्क की टैग लाइन है हैप्पी ब्रीदिंग यानी सुकून की सांस. ये तीनों छात्र प्रतीक शर्मा, तुषार और जतिन आईआईटी दिल्ली से ग्रेजुएट भी हो चुके हैं.
नैनो तकनीक का इस्तेमाल कर इन तीनों ने नाक पर चिपकने वाला बहुत छोटा सा फिल्टर बनाया है जिसके जरिए दस से बारह घंटे आराम से स्वच्छ सांस ली जा सकती है. इसकी कीमत इतनी कम है और इसके एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंकना होता है.
आईआईटी दिल्ली के ही प्रोफेसर मनजीत जस्सल और प्रोफेसर अश्विनी अग्रवाल ने इन छात्रों की मदद की. लगभग 1.5 साल की मेहनत के बाद इनकी ये खोज पूरी हुई और अब इसका व्यावसायिक उत्पादन भी किया जा रहा है. आईआईटी दिल्ली के परिसर में ही नैनोक्लीन ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से स्टार्ट अप के तौर पर इसका उत्पादन किया जा रहा है.
बढ़ते प्रदूषण का नतीजा है नैनो फिल्टर
देश में बढ़ते प्रदूषण ने इनको चिंतित किया और नतीजे के रूप में सामने आया ये नैनो फिल्टर. इस समय बाजारों से मास्क गायब हो चुके हैं और जहां ये उपलब्ध हैं वहां कालाबाजारी हो रही है, इस दशा में लोग इन नैनो फिल्टर पर टूटे पड़े हैं. पिछले चार दिनों में 20 हजार से ज्यादा फिल्टर बांटे जा चुके हैं. प्रतीक शर्मा का कहना है कि इसे जन जन तक पहुंचाने के लिए आधुनिक सोशल मीडिया का सहारा लिया गया.
फेसबुक पेज नैनो फिल्टर के पेज पर इस प्रोडक्ट की जानकारी डाली गई और अधिक लोगों तक इसकी पहुंच के लिए जनता के लिए इंसेंटिव दिया गया. इसमें कहा गया कि दस लोगों को टैग करो और दस फिल्टर मुफ्त पाओ. जिसके बाद लोगों को इसके बारे में पता चला, इनके जरिए जनता को राहत भी मिल रही है और सुकून की सांस भी.
अब वाहनों के लिए भी मेट्रो
वहीं दूसरा प्रोजेक्ट है अप्पू घर के संस्थापकों में से एक सुरेश चावला का. इन्होंने प्रदूषण के खिलाफ युद्ध और अक्षय ऊर्जा के भरपूर इस्तेमाल के लिए देश भर के लिए एक नया प्रोजेक्ट तैयार किया है वो है 'वाहनों के लिए मेट्रो' यानी ऐसी मेट्रो ट्रेन जिन पर यात्रियों की जगह बस, ट्रक, कार और मोबाइक सफर करेंगी. सुरेश चावला का दावा है कि सूरज की रोशनी से चलने वाली ये मेट्रो आम मेट्रो से सात गुना सस्ती और सात गुना कम समय में तैयार की जा सकती है.
इस प्रोजेक्ट के तहत मुख्य सड़क के दोनों ओर बहुत छोटी जगह पर एलिवेटेड लाइन तैयार की जाएगी. प्रीफैब्रिकेटेड खंबे और बीम से पांच से सात फुट ऊंचाई पर ये मोटर मेट्रो चलेगी. प्लेटफार्म पर पहुंचते ही यात्रियों की जगह गाड़ियां उतरेंगी-चढ़ेंगी और मेट्रो आगे चलने लगेगी. गाड़ियां उतर कर सड़क पर आ जाएंगी यानी एक शहर से दूसरे शहर आपकी निजी गाड़ी भी मेट्रो के मजे ले सकेगी. इतना ही नहीं बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा में भी ये गाड़ी आराम से चल सकेगी.
प्रदूषण होगा कम
सुरेश चावला का कहना है कि इससे ना केवल प्रदूषण खत्म होगा बल्कि साफ सुरक्षित सफर भी किया जा सकेगा. मेट्रो की पूरी लाइन के ऊपर सोलर पैनल लगे होंगे जिनसे पैदा होने वाली बिजली से ना केवल मेट्रो चलेगी बल्कि उस अतिरिक्त बिजली का और भी इस्तेमाल हो सकेगा. एक्सीडेंट की आशंका भी शून्य हो जाएगी क्योंकि सभी गाड़ियां एक ही दिशा में जाएंगी वो भी सड़क के आरपार. सड़क के दोनों ओर जाल लगा होगा ताकि अंदर का ट्रैफिक भी सुरक्षित चले और जाल के बाहर मेट्रो का ट्रैक होगा.
यही वजह है कि ये मेट्रो सभी मौसम में समान स्पीड से चल पाएगी. दिल्ली से चंडीगढ़ घंटे भर में ट्रक बसों का सफर हो सकेगा. इसके अलावा फ्लाई ओवर बनाने के लिए भी सुरेश चावला ने नई तरह के प्री फैब्रिकेटेड बीम, खंबे और पैनल तैयार किए हैं जो मजबूती के साथ-साथ कम समय और जगह में बहुत जल्दी लगाए जा सकते हैं. ये भूकंप रोधी भी हैं क्योंकि सभी एक दूसरे से इंटर लिंक हैं. इतना ही नहीं इन परियोजनाओं के लिए रात में भी सोलर एनर्जी पाने का इंतजाम है. उपग्रह के जरिये रिफ्लेक्शन से धूप की ऊर्जा मिल सकेगी. सुरेश चावला का दावा है कि इससे दुनिया की तस्वीर बदल जाएगी. ये प्रोजेक्ट सस्ता होने के साथ- साथ प्रदूषण को खत्म करने के लिए भी स्थायी उपाय है.