आजकल जहां 17 साल के बच्चे वीडियो गेम और मोबाइल में टाइम बिताते हैं, वहीं एक ओर अर्श अली हैं, जो मिस्र बौद्ध धर्म पर रिसर्च कर रहे हैं, जिसमें बहुत कम लोगों को रूचि होती है. अर्श अली पिछले कई सालों से इसपर काम कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने विश्व व्याख्यान श्रृंखला में भारत के राष्ट्रीय संग्रहालयों पर बातचीत की थी और इतनी कम उम्र में वे खुदाई और मिट्टी में समय बिताते हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार इलाहाबाद के रहने वाले अली केवल 15 साल के थे जब उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के साथ राजस्थान के बिंजोर में हड़प्पा साइट पर पहली खुदाई की थी. दूसरी बार उन्होंने डेक्कन कॉलेज के डॉक्टर वसंत शिंदे के नेतृत्व में सिंधु घाटी की साइट पर खुदाई की. इस समय वो वेदों को प्राचीन मिस्र लेखन प्रणाली चित्रलिपी में बदल रहे हैं.
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अली ने कहा, जब मैं 2 साल का था तब मैंने चित्रलिपी पढ़नी शुरू की थी. इसमें लाखों चिह्न हैं इसलिए आपको व्याकरण का पता होना चाहिए. राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक डॉक्टर बीआर मणि का कहना है कि 'मेरी अर्श से मुलाकात साल 2015 में गुवाहाटी में हुए एक सेमिनार के दौरान हुई. मैं उससे बहुत जल्दी प्रभावित हो गया क्योंकि उसने इतनी छोटी सी उम्र में खुदाई, इतिहास और कला के विभिन्न क्षेत्रों में काम किया था. वह शायद भारत का पहला शख्स होगा जिसे कि चित्रलिपी की लिखाई आती है.'
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अली साल 2016 से ओपन स्कूल से पढ़ाई कर रहे हैं जो उन्हें अपनी रुचियों को आगे बढ़ाने का मौका देती हैं. उन्होंने कहा, 'एक ऐसा चरण आया जब मैं अपनी अतिरिक्त पाठयक्रम गतिविधियों की वजह से क्लास में फेल होने लगा और मुझे स्कूल में उपस्थिति की परेशानी होने लगी.' इस साल अली बौद्ध साइटों का दौरा करने में व्यस्त हैं.