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त्रिपुरा: शिक्षकों की बर्खास्तगी पर सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

त्रिपुरा उच्च न्यायालय द्वारा 10,323 सरकारी शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त किए जाने के फैसले के खिलाफ दायर तीन अलग-अलग विशेष अनुमति याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय नौ जनवरी को सुनवाई करेगा.

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Supreme Court
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त्रिपुरा उच्च न्यायालय द्वारा 10,323 सरकारी शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त किए जाने के फैसले के खिलाफ दायर तीन अलग-अलग विशेष अनुमति याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय नौ जनवरी को सुनवाई करेगा.

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राज्य सरकार के विधि सचिव दातामोहन जमातिया ने पत्रकारों से कहा, 'तीन अलग-अलग विशेष अनुमति याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने नौ जनवरी की तारीख तय की है. सर्वोच्च न्यायालय के पंजीयक ने सोमवार को मामले का अवलोकन करने के बाद सुनवाई की तारीख तय की.'

त्रिपुरा सरकार और प्रभावित शिक्षकों ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में ये याचिकाएं दायर की हैं. त्रिपुरा उच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति स्वप्न चंद्र दास की खंडपीठ ने शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताओं का हवाला देते हुए सात मई को शिक्षकों को बर्खास्त करने का अपना फैसला सुनाया था.

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से दो महीने के भीतर नई भर्ती नीति तैयार करने और दिसंबर, 2014 से नए सिरे से शिक्षकों की भर्ती करने के लिए कहा था. भर्ती न पा सके अभ्यर्थियों की 58 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और शिकायतकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया था.

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उच्च न्यायालय ने हालांकि भर्ती पा चुके शिक्षकों को 31 दिसंबर तक नौकरी में बने रहने की इजाजत भी दी है. त्रिपुरा सरकार ने 2010 में 1,100 परा स्नातक और 4,617 स्नातक शिक्षकों की नियुक्ति की थी. इसके बाद पिछले वर्ष दिसंबर में 4,606 स्नातक शिक्षकों की भर्ती हुई. जमातिया ने कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन चूंकि अब मामला सर्वोच्च न्यायालय के अधीन है इसलिए बर्खास्त किए गए शिक्षक 31 दिसंबर के बाद भी पद पर बने रहेंगे.'

त्रिपुरा के शिक्षा मंत्री तपन चक्रवर्ती ने कहा कि राज्य सरकार को उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय के अंतिम फैसले में इन 10,323 शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन शिक्षकों के पक्ष में खड़ी है. दूसरी ओर राज्य में कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और त्रिणमूल कांग्रेस सहित सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया था और नए सिरे से शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की थी.

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