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विदेश में पढ़ाई की खास तैयारी

विदेश में पढ़ाई करने के प्रति लोगों के रुझान का अंदाजा एक सर्वे में आई रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. जिसके मुताबिक, हर साल करीब पांच लाख भारतीय स्‍टूडेंट्स पढ़ाई के लिए विदेश का रुख करते हैं.

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विदेश में पढ़ाई करने के प्रति लोगों के रुझान का अंदाजा एक सर्वे में आई रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. जिसके मुताबिक, हर साल करीब पांच लाख भारतीय स्‍टूडेंट्स पढ़ाई के लिए विदेश का रुख करते हैं. भारतीयों स्‍टूडेंट्स की टॉप स्टडी डेस्टिनेशन की बात करें तो इसमें अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और जापान प्रमुख हैं. अगर आप भी विदेश में पढ़ाई करने की सोच रहें हैं तो इस बात का ध्‍यान रखें कि हर देश में पढ़ाई में एडमिशन के लिए खास टेस्‍ट होता है. जिनमें पास होने के बाद ही आपको एडमिशन मिल सकता है.

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विदेश्‍ा में स्‍टडीज के लिए देने होते हैं ये टेस्‍ट :

इंटरनेशनल इंग्लिश लैंग्वेज टेस्टिंग सिस्टम (IELTS): आईईएलटीएस टेस्ट के जरिए कैंडिडेट्स के अंग्रेजी ज्ञान को जांचा-परखा जाता है. इस परीक्षा का आयोजन ब्रिटिश काउंसिल, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, ईएसओएल और आईडीपी एजुकेशन, ऑस्ट्रेलिया द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है. आईईएलटीएस स्कोर ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका के एजुकेशन संस्थानों के अलावा, कुछ अमेरिकी संस्थानों में भी मान्य हैं.

टेस्ट ऑफ इंग्लिश एज ए फॉरेन लैंग्वेज (TOEFL):
अमेरिका सहित दुनिया के 130 देशों के संस्थानों में इसका स्कोर मान्य है. वैसे, तो टॉफेल का स्कोर दो साल के लिए मान्य होता है, लेकिन अधिकतर संस्थान ताजा स्कोर ही मांगते हैं. अब अधिकतर सेंटरों पर सीबीटी यानी कंप्यूटर आधारित टेस्ट लिया जाता है. टॉफेल टेस्ट में मुख्य रूप से रीडिंग, लिसनिंग, राइटिंग और स्पीकिंग (केवल सीबीटी) की परीक्षा होती है.

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ग्रेजुएट मैनेजमेंट टेस्ट (GMAT):
मैनेजमेंट कॉलेजों में एडमिशन के लिए जीमैट एग्जाम देना जरूरी होता है. दुनिया में तकरीबन 1900 ऐसे बिजनेस स्कूल हैं, जहां जीमैट स्कोर मान्य हैं. जीमैट सामान्यतया तीन सेक्शनों में बंटा होता है: एनालिटिकल राइटिंग एसेसमेंट, क्वांटिटेटिव और वर्बल. आमतौर पर इसमें रीजनिंग, कॉम्प्रिहेंशन, प्रॉब्लम सॉल्विंग क्वेश्चन आदि से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं.

स्कॉलिस्टिक एप्टीट्यूड टेस्ट (SAT):
अमेरिका के कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए सैट टेस्ट से होकर गुजरना होता है. यह एग्‍जाम एजुकेशनल टेस्टिंग सर्विस द्वारा कराया जाता है. इसके जरिए कैंडिडेट्स की समझने की क्षमता, मैथ और रीजनिंग के नॉलेज को परखा जाता है.

ग्रेजुएट रिकॉर्ड एग्जामिनेशन (GRE):
अमेरिका के कई ग्रेजुएट कॉलेजों में एडमिशन जीआरई स्कोर के आधार पर होता है. आमतौर पर जीआरई का सैट एग्जाम की तरह की होता है. जीआरई कम्प्यूटर बेस्‍ड एग्‍जाम है.

मेडिकल कॉलेज एडमिशन टेस्ट (MCAT):
अमेरिकी यूनिवर्सिटी और कनाडा के उच्च स्तरीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए एएएमसी (एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन मेडिकल कॉलेज) यानी एमकैट आयोजित करता है. एमकैट की परीक्षा में वर्बल रीजनिंग, फिजिकल साइंस, बायोलॉजिकल साइंस और राइटिंग सैंपल से सवाल पूछे जाते हैं. पहले तीन सेक्शन में मल्टीपल च्वाइस टेस्ट होते हैं.

टेस्ट ऑफ इंग्लिश फॉर इंटरनेशनल कम्युनिकेशन (TOEIC) :
इस टेस्‍ट के जरिए स्‍टूडेंट्स की अंग्रेजी भाषा पर पकड़ को परखा जाता है. बिजनेस इंस्‍टीट्यूट इस टेस्‍ट का उपयोग करते हैं. इसमें कॉर्पोरेट डेवलपमेंट, फाइनेंस, बजटिंग, कॉर्पोरेट प्रॉपर्टी, आईटी पर्सनल, टेक्निकल मामले, हेल्थ व बिजनेस ट्रेवल से रिलेटेड सवाल पूछे जाते हैं.

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लॉ स्कूल एडमिशन टेस्ट (LSAT):
अमेरिका एवं कनाडा के लॉ कॉलेजों में प्रवेश के लिए यह टेस्ट लिया जाता है. इसमें लॉजिकल रीजनिंग, रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन, एनालिटिकल रीजनिंग से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं. जनरल सर्टिफिकेट ऑफ एजुकेशन (GCE): यूके से उच्च शिक्षा और प्रोफेशनल शिक्षा हासिल करने के लिए जीसीई एग्जाम में सफल होना जरूरी है. इसमें दो लेवल पर एग्जाम होता है. ए लेवॅल का स्कोर यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए मान्य होता है.

टेस्‍ट की तैयारी के लिए खास टिप्‍स:
1. IELTS और TOEFL में पूछे जाने वाले सवालों का पैटर्न करीब-करीब एक जैसा ही होता है. इसमें सफल होने के लिए जरूरी है कि अंग्रेजी भाषा पर अच्छी पकड़ हो. तैयारी के लिए अंग्रेजी न्यूजपेपर और मैग्जीन नियमित रूप से पढ़ें.
2. इन टेस्‍ट की तैयारी करने के लिए स्पीकिंग, वॉकेबलरी और कम्यूनिकेशन स्किल को मजबूत करें.
3. अगर मैनेजमेंट और बिजनेस कोर्स करना चाहते हैं मैथमैटिकल सेक्शन में रीजनिंग और फॉर्मूले को अच्छी तरह याद करें.
4. जीमैट के लिए अंग्रेजी के साथ-साथ मैथ्स पर भी काफी अच्छी पकड़ होनी चाहिए, इसमें क्रिटिकल रीजनिंग, कॉम्प्रिहेंशन आदि से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं. लेकिन इस टेस्ट में एक बात और देखी जाती है कि आप कितने कम से कम समय सवालों का जवाब देते हैं.इसके लिए रोजाना प्रैक्टिस बेहद जरूरी है.

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