ब्रिटेन में एक ऐसा स्कूल भी है, जहां सभी स्टूडेंट्स अंग्रेजी दूसरी भाषा के रूप में बोलते हैं. इसकी शुरुआत 29 साल पहले 6 स्टूडेंट से हुई थी, जो 9 भाषाएं बोलते थे. तब से लेकर आज तक बर्मिंघम के स्पार्कहिल स्थित ग्रीट प्राइमरी स्कूल ऐसे ही चलता आ रहा है.
यहां अब भी क्लास 6 से ही स्टूुडेंट उर्दू, पंजाबी, पश्तो के साथ कई अन्य भाषा बोलते हैं. ग्रीट स्कूल में अधिकतर बाहर के स्टूडेंट हैं, जिसमें पाकिस्तानी मूल के स्टूडेंट की संख्या काफी ज्यादा है. यहां अगर कोई अंग्रेजी को प्राथमिकता देकर बात भी करना चाहता है तो स्टूडेंट उसे ऐसा करने से रोक देते हैं. ग्रीट अपनी तरह का एक ऐसा स्कूल है, जहां बच्चों को पढ़ाई के साथ ही कई अन्य भाषाओं में निपुण बना दिया जाता है. साथ ही टीचर्स को अंग्रेजी को सहायक भाषा के रूप में पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है.
स्कूल में 29 स्टूडेंट ऐसे हैं जो उर्दू, पश्तो, पंजाबी, अरबी, अंग्रेजी व स्पेनिश भाषा बोलते हैं. स्टूडेंट्स के अलावा स्कूल के अन्य लोग भी 29 भाषाएं बोलते हैं. जिसमें रोमानियाई, जापानी, फ्रेंच, इतालवी, पोलिश, डच सोमाली, गुजराजी, हिदी, तमिल व सिंघली भाषाएं शामिल हैं. इस स्कूल की सराहना ऑफ्स्टेड ने साल 2007 में जारी अपनी रिपोर्ट की थी.
स्कूल में कुल 161 कर्मचारियों के साथ ही 35 वॉलेंटियर की टीम है जो यहां पूरी लगन से बच्चों की मदद कर रही है. यह कर्मचारियों की कड़ी मेहनत का परिणाम है कि ग्रीट को अपने उद्देश्य में भारी सफलता मिली है.
यहां रहने वाली एलिना रोमानियन और उनके पति उर्दू बोलते हैं. बातचीत करने के लिए दोनों किसी दूसरी भाषा का प्रयोग करते हैं, लेकिन ऐलिना ने यहां पढ़ रहे अपने दोनों बच्चों से अंग्रेजी सीखकर स्कूल में ही बतौर वाॅलेंटियर नौकरी कर ली.
एलिना स्कूल की तारीफ करते हुए कहती हैं कि यहां मेरे बच्चों का पढ़ना बेहद सुखद रहा. मेरी बेटी को एडमिशन से पहले अंग्रेजी नहीं आती थी, लेकिन पांच महीने में ही उसने अंग्रेजी के साथ ही दूसरी भाषाएं भी सीख ली हैं.