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आजा प्‍यारे, पास हमारे , काहे घबराए...

बच्‍चा-बूढ़ा नौजवान, सभी को जिंदगी में कोई ना कोई टेंशन लगी ही रहती है. एग्‍जाम से लेकर घर-ऑफिस की टेंशन सताए, तो कुछ आसान तरीके हैं, जिनसे इसे दूर भगाया जा सकता है.

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बच्‍चा-बूढ़ा नौजवान, सभी को जिंदगी में कोई ना कोई टेंशन लगी ही रहती है. एग्‍जाम से लेकर घर-ऑफिस की टेंशन सताए, तो कुछ आसान तरीके हैं, जिनसे इसे दूर भगाया जा सकता है.

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20 मिनट की चहलकदमी या जॉगिंग:
वर्जिश के दौरान निकलने वाला एंडोरफिन तनाव कम करता है और ताज़ा हवा दिमाग को नई ताज़गी देने का कमाल कर सकती है

खानसामा बन जाइए:
अगर कुछ खाने का मन कर रहा है, तो रसोई में घुसकर खुद बनाने लग जाइए. मां या पत्नी को तंग ना कर अगर आप सैंडविच भी खुद बनाएंगे, तो उसकी रचनात्मकता आपका ज़ायका दोगुना कर देगी.

हाथ से ‌दिमाग की सफाई तक:
घर या दफ्तर बिखरा पड़ा है और आपका मन बोझिल है, तो एक बार हिम्मत कर उसे साफ करना शुरू कीजिए. आप देखेंगे कि कमरे की सफाई होने के बाद आपको नई शुरुआत करने की प्रेरणा मिलेगी.

डॉलफिन बन जाइए या बिल्ली:
इस तरह के योग इसलिए बनाए गए हैं ताकि आपकी गर्दन को आराम मिले और टेंशन जल्द से जल्द गायब हो जाए.

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गाना सुनिए, ठुमका लगाइए:
पढ़ाई हो, घर का काम या फिर दफ्तर की टेंशन, इन सभी से दस मिनट कटकर अगर आप संगीत सुनेंगे या उनकी धुन पर मटकने लगेंगे, तो कुछ देर में दिमाग नए सिरे से काम करने के लिए तैयार हो जाएगा

मां से बात कीजिए:
या फिर अपने पिता या फिर कोई भी, जिन्हें आप अपना सबसे अच्छा दोस्त समझते हैं. जो आपको समझता है, उससे बात कर आप लगातार दिमाग में बनने वाली टेंशन को ख़त्म कर सकते हैं

कुछ ना करना भी कुछ करना है:
अगर आप काफी देर से पढ़ाई या कोई काम कर रहे हैं, तो ब्रेक लीजिए. ज़रूरी नहीं कि ब्रेक लेने के बाद भी आप कुछ करें. बिना कोई काम करे, कुछ देर बैठना भी दिमाग को काफी सुकून दे सकता है

कुछ मीठा हो जाए:
चॉकलेट यूं तो सिर्फ बच्चे खाते अच्छे लगते हैं, लेकिन टेंशन के वक्‍़त इसे कोई भी खा ले, तो अच्छा है. यह दिमाग में सेरोटोनिन और एंडोरफिन का स्तर बढ़ाती है, जिससे तनाव फुर्र हो जाता है.

रात में नींद पूरी लें:
कई बार हमें महसूस नहीं होता, लेकिन अधूरी नींद कई तरह की टेंशन की वजह बन जाती है. इसलिए अगर किसी रात ठीक से नहीं सो पाए, तो अगली रात उसे पूरा करने की कोशिश कीजिए. इससे दिमाग को आराम मिलेगा

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हर इम्तहान का अंत आता है:
स्कूल हो या ज़िंदगी, हम आए दिन कोई ना कोई इम्तहान देते ही रहते हैं. लेकिन इसका भी अपना मज़ा है. इसकी टेंशन से दूर, इम्तहान में कामयाबी के लिए ज़ोर-शोर से होने वाली तैयारी पर ध्यान दीजिए. और अंदाज़ा लगाइए उस सुख-शांति का, जो इम्तहान ख़त्म होने के बाद मिलेगी

इनपुट: Newsflicks

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