तीन तलाक पर देश में मचे घमासान के बीच उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय ने इसे अपने समाजशास्त्र के पाठ्यक्रम में शामिल किया है. इसके लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए विश्वविद्यालय की एजुकेशन काउन्सिल को भी भेज दिया गया है. सबकुछ ठीक रहा तो अगले सत्र से इसकी पढ़ाई शुरू हो जाएगी.
विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र विभाग के अध्यक्ष बीआर साहू ने कहा कि ट्रिपल तलाक जैसी व्यवस्था समाज के लिए कुरीति ही है. इस कुरीति को समाज से समाप्त करने के लिए इस तरह के प्रयास भी कारगर सिद्ध हो सकते हैं. इसी प्रयास के तहत यह पहल की गई है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में देश की सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय और केंद्र सरकार के कदम के बाद ही हमने इस दिशा में कदम बढ़ाने का निर्णय किया.
समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष ने कहा कि विद्यार्थियों को तीन तलाक जैसी कुरीतियों का अध्ययन करना चाहिए. हम पाठ्यक्रम में तीन तलाक पर केंद्र सरकार द्वारा बनाए जाने वाले कानून को भी शामिल करेंगे. उन्होंने कहा कि कानून एवं समाज का गहरा नाता है. कानून सीधे-सीधे समाज को प्रभावित करता है. ट्रिपल तलाक बिल का भी निश्चित तौर पर मुस्लिम समाज पर प्रभाव पड़ेगा. साहू ने विश्वास व्यक्त किया कि विभाग के प्रस्ताव को स्वीकार कर एजुकेशन काउन्सिल अगले सत्र से इसकी पढ़ाई का रास्ता साफ कर देगा.
गौरतलब है कि तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कानून बनाने का निर्देश दिया था. सरकार ने हंगामे के बीच 21 जून को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 लोकसभा में पेश किया था. अपने पिछले कार्यकाल के दौरान साल 2018 में भी मोदी सरकार ने तीन तलाक पर बिल पेश किया था, लेकिन उसे राज्यसभा से पारित नहीं कराया जा सका.