भारतीय मूल के दो प्रोफेसरों को गणित के क्षेत्र में ग्लोबल पुरस्कार दिया गया है. इनमें से एक को फील्ड मेडल दिया गया है जिसे ‘गणित के नोबेल पुरस्कार’ के रूप में जाना जाता है.
सियोल में आयोजित इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ मैथेमेटिक्स में इंटरनेशनल मैथमेटिकल यूनियन (आईएमयू) ने मंजुल भार्गव को फील्ड मेडल और सुभाष खोट को रॉल्फ नेवानलिन्ना पुरस्कार से नवाजा है. प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर भार्गव उन चार विजेताओं में से थे जिन्हें प्रत्येक चार में प्रदान किए जाने वाले इस फील्ड मेडल के लिए चुना गया है.
भार्गव को फील्ड मेडल ज्यामितिय संख्या में नई पद्धति को विकसित करने के लिए दिया गया है. जबकि खोट को नेवानलिन्ना पुरस्कार यूनिक गेम्स की समस्याओं को परिभाषित करने, इसकी जटिलताओं को समझने और इस समस्या का सबसे सटीक हल ढूंढने के लिए प्रदान किया गया.
खोट न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी करेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मैथेमेटिकल साइंसेज में कंप्यूटर साइंस विभाग में प्रोफेसर हैं. उन्होंने प्रिंस्टन से पीएचडी की है. 1974 में कनाडा में जन्में भार्गव अमेरिका में पले बढ़े और भारत में भी समय गुजारा है. उन्होंने 2001 में प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और वहीं 2003 में प्रोफेसर बने. भार्गव को अब तक मिले अवार्ड्स में मैथेमेटिकल एसोसिएशन ऑफ अमेरिका से मर्टेन हासे पुरस्कार (2003), शस्त्र रामानुजन पुरस्कार (2005), नंबर थ्योरी में अमेरिकन मैथेमेटिकल सोसाइटी से कोल पुरस्कार (2008) और इन्फोसिस पुरस्कार (2012) शामिल हैं. वो 2013 में अमेरिकी नेशनल एकेडमी के लिए भी चुने गए.
ईरान में जन्मीं गणितज्ञ स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मरयम मिर्जाखनी इस साल फील्ड मेडल प्राप्त करने वाली पहली महिला हैं.
फील्ड मेडल की शुरुआत 1936 में जबकि नेवानलिन्ना पुरस्कार 1982 से दिया जा रहा है. इसके लिए चयनित लोगों की उम्र सीमा निर्धारित है. 40 साल से कम उम्र के उम्मीदवार इसके लिए योग्य होते हैं.