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पुराने जूते-चप्पल को नया लुक देकर इन युवाओं ने शुरू किया बिजनेस

जानें कैसेबेकार जूते-चप्पल से इन युवाओं ने शुरू किया बिजनेस...

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श्रीयंस भंडारी
श्रीयंस भंडारी

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श्रीयंस भंडारी और रमेश धामी ने दिखा दिया कि कैसे खराब जूते और चप्पलों का इस्तेमाल कर उनसे अच्छी कमाई की जा सकती है. श्रीयंस भंडारी राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले हैं और रमेश धामी उत्तराखंड के गढ़वाल के रहने वाले हैं. दोनों एक साथ बिजनेस करना चाहते थे, जिसके बाद उन्हें एक आइडिया आया क्यों ना बेकार जूते-चप्पलों  का ऐसा इस्तेमाल कर कोई बिजनेस शुरू किया जाए, जिससे कमाई भी हो और लोगों को फायदा भी हो.

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दोनों ने मिलकर बेकार जूते-चप्पलों को फिर से नया लुक देकर ऑनलाइन बेचने का स्टार्टअप शुरू किया. उन्होंने कंपनी का नाम रखा 'ग्रीनसोल'. खास बात ये हैं कि ग्रीनसोल ने अब तक 25,000 से ज्यादा पुराने जूते-चप्पलों की मरम्मत कर महाराष्ट्र और गुजरात के जरुरतमंदों तक पहुचाने का काम किया है.आपको बतादें जब लोगों को इस बारे में पता चला तो उन्होंने भारी मात्रा में बेकार और रद्दी जूते-चप्पलों को दान किया.

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उनकी मदद एक्सिस बैंक, इंडियाबुल्स, टाटा पॉवर और DTDC जैसे बड़े-बड़े कॉर्पोरेट्स ने की.एक तरफ जहां ये दोनों जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं वहीं रद्दी हो चुके जूतों को नया लुक देकर फिर से उपयोग में लाकर हमारे पर्यावरण को प्रदूषित होने से भी बचाने का भी काम कर रहे हैं.

जूते बनाने की फैक्ट्री में सीखा काम

श्रीयंस और रमेश के मन में जब बेकार जूतों चप्पलों को नया लुक देकर काम में लाने का आइडिया आया, तो उन्होंने इसके लिए सबसे पहले जूते बनाने वाली फैक्ट्रियों में जाकर जूतों की मरम्मत का काम देखा और उसे सीखने की कोशिश की.

आंकड़ों के मुताबिक एक आंकड़े के मुताबिक देशभर में लगभग 35 करोड़ जूते-चप्पल ऐसे हैं, जो प्लास्टिक और अन्य किसी मेटेरियल से बने होते हैं और इनसे पर्यावरण को भारी मात्रा में क्षति पहुंचती है.

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दोनों चाहते हैं कि हर जरूरतमंद इंसान के पैर में जूते-चप्पल तो होने ही चाहिए. देखा जाए तो गरीबों की मदद करने के साथ ही पर्यावरण बचाने का भी काम ये दोनों बखूबी कर रहे हैं.

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