शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए मोदी सरकार बड़े बदलाव करने जा रही है. खबरों की मानें तो सरकार 61 साल पुराने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (UGC) और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (AICTE) को खत्म कर हायर एजुकेशन के लिए एक नियामक बना सकती है. इस नये नियामक को अस्थाई रूप से 'हायर एजुकेशन एम्पावरमेंट रगुलेशन एजेंसी' (HEERA) नाम दिया गया है.
हालांकि यह योजना लंबे समय से विचाराधीन थी, पर मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक के बाद अब जाकर इस पर अमल किया जा सका है.
नया नियामक स्थापित करने से कुछ समय लग सकता है. इस बीच आवश्यकता पड़ने पर मौजूदा नियमों में ही संशोधन किया जाएगा.
HEERA पर तेजी से काम चल रहा है. मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्री और नीती आयोग नये कानून पर काम कर रहे हैं. इसके लिए सरकार ने एक कमेटी भी बना दी है जिसमें नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और हाईयर एजूकेशन सचिव केके शर्मा सहित अन्य सदस्य इसके ब्लूप्रिंट पर काम कर रहे हैं.
अधिकारियों की मानें तो नया सिंगल रेगुलेटर के आने के बाद क्षेत्राधिकार में ओवरलैपिंग नहीं होगी. वहीं उन नियामक प्रावधानों को भी खत्म कर देगा जो अब प्रासंगिक नहीं हैं.
एक अधिकारी ने कहा कि यूजीसी और एआईसीटीसी को हटाकर एक सिंगल रेग्यूलेटर का आना सबसे क्लीन और बड़ा रिफॉर्म होगा. यूजीसी को खत्म करने के लिए यूपीए सरकार के समय गठित यशपाल समिति, हरी गौतम समिति ने सिफारिश की थी, लेकिन इसको कभी अमल में नहीं लाया गया.
हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब कई नियामकों की जगह एक नियामक बनाया गया हो. पर यह देखना दिलचस्प होगा कि HEERA कितना कारगर होता है.
रिपोर्ट में एक अधिकारी ने बताया है कि UGC को जिस इंस्पेक्टर राज से जोड़कर देखा जाता था, HEERA उसका अंत कर देगा. पर जब जरूरत हुई तो यह सख्त कदम भी उठाएगा.