विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इंडियन इंस्टटीयूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन के डीम्ड यूनिवर्सिटी बनाने के लिए प्रस्ताव रखा है. पत्रकारिता क्षेत्र में आने वाले छात्रों के लिए ये इंस्टटीयूट बेस्ट माना जाता है. इसमें पत्रकारिता, विज्ञापन और पब्लिक रिलेशन आदि में डिप्लोमा कोर्सेज करवाए जाते हैं. सभी कोर्सेज का समय 1 साल है.
आईआईएमसी के प्रस्ताव का आकलन करने के लिए पिछले साल माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति बी के कुठियाला के नेतृत्व में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. बाद में कमेटी को भंग कर दिया गया.
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इसके बाद दो कमेटी ने सिफारिशें की. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सदस्य सचिव सचिदानंद जोशी के नेतृत्व वाली कमेटी और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति एम एस परमार की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सिफारिशें की.
यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘कमेटी की अनुशंसा और निरीक्षण दल के फीडबैक के आधार पर यूजीसी ने सिफारिश की है कि मंत्रालय को ‘डे नोवो’ श्रेणी के तहत पत्रकारिता संस्थान को आशय पत्र जारी किया जाना चाहिए. इस दर्जे से संस्थान डिप्लोमा की जगह डिग्री प्रदान कर सकेगा.
बता दें, ‘डे नोवो’ का संदर्भ ऐसे संस्थान के लिए दिया जाता है जहां ज्ञान के उभरते क्षेत्र में अध्यापन और शोध को बढ़ावा दिया जाता है. आईआईएमसी के महानिदेशक के जी सुरेश ने कहा, ‘‘हम आशय पत्र (Letter of Intent (LoI) के प्रति आशान्वित हैं.
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अब तक हम इंडस्ट्री के लिए छात्रों को तैयार करते रहे लेकिन डीम्ड विश्वविद्यालय के दर्जे से हम मास्टर, एमफिल और पीएचडी सहित पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रम की पेशकश कर पाएंगे और इसके बाद हम अकादमिक शिक्षा के लिए भी छात्रों को तैयार कर पाएंगे. आईआईएमसी को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने का विचार नया नहीं है.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 2016 में भी योजना को मंजूरी दी थी. आईआईएमसी का पिछले पांच साल में विस्तार हुआ है. दिल्ली और ढेंकनाल के अलावा जम्मू, अमरावती, कोट्टायम और एजल में नया कैंपस खोला गया है.