संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत ने अपने बच्चों को प्राथमिक शिक्षा मुहैया कराने में ‘असरदार’ तरक्की की है. लेकिन निम्न माध्यमिक शिक्षा में अब भी उसे ऐसे नतीजे हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. अब भी ऐसे किशोरों की संख्या ज्यादा है जिन्होंने स्कूल में प्रवेश नहीं लिया है.
12.4 करोड़ छोटे बच्चे अब भी स्कूलों में नहीं
ये अध्ययन यूएन एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन(यूएनईएससीओ) और एजुकेशन फॉर ऑल ग्लोबल मॉनिटरिंग रिपोर्ट(ईएफआर जीएमआर) की ओर से किया गया है. इसके मुताबिक, 12.4 करोड़ छोटे बच्चे और किशोर अभी भी स्कूल में पढ़ नहीं रहे हैं जबकि शिक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता भी 2010 के स्तर से लगातार कम रही है.
निम्न माध्यमिक शिक्षा में अभी भी चुनौती
रिपोर्ट के मुताबिक, निम्न माध्यमिक शिक्षा में इसके लिए अभी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2011 में भारत में निम्न माध्यमिक स्कूल की आयु के 1.6 करोड़ से अधिक किशोरवय बच्चों ने स्कूलों में दाखिला नहीं लिया. इसके अलावा, बांग्लादेश, मैक्सिको, इंडोनेशिया, नाइजर, पाकिस्तान और सीरियाई अरब गणराज्य में प्रत्येक देश में स्कूल से बाहर रहने वाले किशोरों की संख्या 10 लाख से अधिक थी.
नि:शक्त बच्चों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नि:शक्त बच्चे भी मुख्यधारा के स्कूलों में पढ़ सकें इसके लिए भारत उनकी मदद के लिए वित्तीय संसाधन मुहैया करा रहा है. इसके साथ ही स्कूलों के बुनियादी ढांचा को उनके अनुकूल बनाया जा रहा है. साथ ही, समावेशी शिक्षा की खातिर स्कूलों के समूहों को सहयोग के लिए संसाधन केंद्र की स्थापना के साथ शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है.