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...जब लाल बहादुर शास्त्री ने दहेज में लिए थे खादी के कपड़े

आज देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज पुण्यतिथि है. जानिए उनके बारे में कुछ ऐसी बातें जिसे आप अभी तक नहीं जानते होंगे.

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लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री

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देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 11 जनवरी को पुण्यतिथि है. जय जवान जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री जी ने अपने कार्यकाल के दौरान देश को कई संकटों से उबारा. साफ-सुथरी छवि के कारण उनका बहुत सम्मान किया जाता था. 

9 साल की जेल

भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में देश के दूसरे प्रधानमंत्री 9 साल तक जेल में रहे. असहयोग आंदोलन के लिए पहली बार वह 17 साल की उम्र में जेल गए, लेकिन बालिग न होने की वजह से उनको छोड़ दिया गया. इसके बाद वह सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए 1930 में ढाई साल के लिए जेल गए. 1940 और फिर 1941 से लेकर 1946 के बीच भी वह जेल में रहे. शास्त्री जी ने अपने जीवन के  नौ साल जेल में बिताए.

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आम लाने पर पत्नी का विरोध

स्वतंत्रता की लड़ाई में जब वह जेल में थे तब उनकी पत्नी चुपके से उनके लिए दो आम छिपाकर ले आई थीं. इस पर खुश होने की बजाय उन्होंने उनके खिलाफ ही धरना दे दिया. शास्त्री जी का तर्क था कि कैदियों को जेल के बाहर की कोई चीज खाना कानून के खिलाफ है.

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दहेज में ली खादी

शास्त्री जी जात-पात के सख्त खिलाफ थे. तभी उन्होंने अपने नाम के पीछे सरनेम नहीं लगाया. शास्त्री की उपाधि उनको काशी विद्यापीठ से पढ़ाई के बाद मिली थी. वहीं अपनी शादी में उन्होंने दहेज लेने से इनकार कर दिया था. लेकिन ससुर के बहुत जोर देने पर उन्होंने कुछ मीटर खादी के कपड़े  दहेज के तौर पर लिए थे. 

जय जवान जय किसान की कहानी

1964 में जब वह प्रधानमंत्री बने तब देश में खाने कई चीजें आयात करनी पड़ती थी.1965 में पाकिस्तान से जंग के दौरान देश में भयंकर सूखा पड़ा. तब उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने की अपील की. उन्होंने कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया.

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महिलाओं को जोड़ा ट्रांसपोर्ट सेक्टर से

ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर के तौर पर सबसे पहले उन्होंने ही इस इंडस्ट्री में महिलाओं को बतौर कंडक्टर लाने की शुरुआत की. यही नहीं, प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए उन्होंने लाठीचार्ज की बजाय पानी की बौछार का सुझाव दिया था.

क्या वह वाकई हार्ट अटैक था?

पाकिस्तान के साथ 1965 की जंग को खत्म करने के लिए वह समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे. इसके ठीक एक दिन बाद जनवरी 1966 को खबर आई कि हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई है. उनकी मौत के बाद आज भी इस पर संदेह बरकरार है. उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी ललीता शास्त्री ने दावा किया कि उनके पति को जहर देकर मारा गया. उनके बेटे सुनील शास्त्री ने सवाल ने कहा था कि उनके पिता की बॉडी पर नीले निशान थे. साथ ही उनके शरीर पर कुछ कट भी थे.

खाने में मिला था जहर!

दूसरी ओर, कुछ लोग दावा करते हैं कि जिस रात शास्त्री की मौत हुई, उस रात खाना उनके निजी सहायक रामनाथ ने नहीं, बल्कि सोवियत रूस में भारतीय राजदूत टीएन कौल के कुक जान मोहम्मद ने पकाया था. खाना खाकर शास्त्री सोने चले गए थे. उनकी मौत के बाद शरीर के नीला पड़ने पर लोगों ने आशंका जताई थी कि शायद उनके खाने में जहर मिला दिया गया था. उनकी मौत 10-11 जनवरी की आधी रात को हुई थी.

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