उत्तर प्रदेश में सिपाही भर्ती परीक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं. एक तरफ परीक्षा बोर्ड आधिकारिक रूप से पेपर लीक की खबरों को स्वीकार नहीं कर रहा है. दूसरी तरफ ऐसे कई साक्ष्य सामने आ रहे हैं, जो परीक्षा बोर्ड के दावों पर सवाल खड़े कर रहे हैं. लखनऊ के कृष्ण नगर थाने में 18 फरवरी को खुद पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की थी. इसमें वादी निरीक्षक रामबाबू सिंह ने सरकारी दस्तावेज में माना कि सुंयोजित तरीके से प्रश्न पेपर लीक किया गया, जो कि अपराध की श्रेणी में आता है.
दर्ज एफआईआर के अनुसार, सत्य अमन कुमार नाम का युवक पुलिस भर्ती परीक्षा में दूसरी शिफ्ट में पेपर दे रहा था. इसमें उसके पास से एक पर्चा मिला, जिससे पता चला कि वह चीटिंग कर रहा था. जब पर्चे को देखा गया तो पता चला कि उसके हाथ में जो प्रश्न और उत्तर लिखे हुए थे, वो असली प्रश्न पत्र से मेल खा रहे थे.
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जब उससे सख्ती से पूछा गया तो उसने बताया, मेरे दोस्त ने 12 बजकर 56 मिनट पर यह क्वेश्चन पेपर आंसर के साथ व्हाट्सएप किया था. उसने कहा था कि यह आज का क्वेश्चन पेपर है. उसके बिनाह पर पैसों की मांग की. जब पुलिस द्वारा आरोपी का फोन निकाला गया और देखा गया कि उसमें हाथ से लिखा हुआ पेपर आया था. इसके सवाल जवाब प्राप्त प्रश्न से पर्ची में मैच कर रहे थे.
पुलिस वाले ने एफआईआर दर्ज कराते हुए स्पष्ट लिखा है कि संयोजित रूप से पेपर लीक हुआ, जो कि अपराध की श्रेणी में आता है. इसके बाद आरोपियों को जेल भेजकर पुलिस द्वारा मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया. उसे फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में जांच के लिए भेज दिया गया है. गौरतलब है कि युवक के पास जो सवाल जवाब पाए गए वो उसके फोन में और चिट में पहले से मौजूद थे. वो वायरल क्वेश्चन पेपर से मेल खा रहे हैं. यह अपने आप में कई सवाल खड़े करता है.