उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार प्रदेश के मदरसों के लिए नया पाठ्यक्रम जारी करने जा रही है. इस पाठ्यक्रम में मदरसा शिक्षा में एनसीईआरटी की किताबों को भी शामिल किया जाएगा. उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड एनसीईआरटी और सीबीएसई से बातचीत कर मदरसे में पढ़ाए जाने योग्य किताबों को चिह्नित करने की कोशिश में जुटा है.
पाठ्यक्रम को लेकर दूसरे राज्यों में चल रहे मदरसों के पाठ्यक्रम का भी अध्ययन सरकार कर रही है. सचिव और रजिस्टार के स्तर पर अब तक तीन कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी है. पाठ्यक्रम में इन बदलावों को लेकर चर्चा जारी है.
- कक्षा 1 से 5 तक दीनियात के अलावा अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, गणित और सामाजिक विज्ञान प्रस्तावित है.
- फौकनिया (कक्षा 6 से 8 तक) में दीनियात के अलावा अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, गणित और सामाजिक विज्ञान के साथ-साथ प्रारंभिक अरबी और फारसी की पढ़ाई होगी.
- 9वीं से 10वीं में सभी उपरोक्त विषयों के अलावा गृह विज्ञान का विषय होगा.
- उच्च आलिया में 11वीं और 12वीं में अंग्रेजी, उर्दू और दीनियात आवश्यक विषय होंगे, जबकि मासियात के अलावा साईंस या आर्ट्स वैकल्पिक विषय में आएंगे.
- वहीं साइंस में फिजिक्स, कैमेस्ट्री और गणित आवश्यक होंगे, लेकिन अगर किसी ने आर्ट्स चुना तो भूगोल, इतिहास और राजनीतिक शास्त्र आवश्यक होगा.
हालांकि शिया मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना सैफ अब्बास ने इसका विरोध किया है. उन्होंने कहा कि एनसीआरटी की किताबें अपने खेमे यानी दिल्ली बोर्ड और यूपी में पूरी नहीं हो पा रही है और इसके बाद इसे मदरसों में थोपना चाह रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए कोई अन्य शिक्षा क्षेत्र के अलावा मदरसों को ही क्यों चुना गया और सरकार मदरसों को ही निशाना क्यों बना रही है.
वहीं मदरसा के प्रिंसिपल मौलाना फरीदुल हसन का कहना है कि मदरसों में दिन की पढ़ाई होती है और यहां के टीचर अभी तैयार नहीं है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास इंफ्रास्टक्चर भी नही है और हमारे लोग जब बाहर जाते है तो मदरसा शिक्षा से पहचाने जाते हैं. उनके अनुसार इस तरीके से कोर्स को लादना गलत हो जाएगा और कोई भी मदरसे में टीचर या शिक्षक नहीं पढ़ा पाएगा.
सन्नी धर्म गुरु रशीद फिरंगी महली ने भी इसका विरोध किया है. उन्होंने कहा कि अभी मदरसे इसके लिए तैयार नहीं है और पहले कमेटी बनाई जाए और उसके बाद फैसला लिया जाए. फिलहाल एनसीआरटी छात्रों के लिए चुनौती है.