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मशहूर कन्नड़ साहित्यकार यू.आर. अनंतमूर्ति का निधन

मशहूर कन्नड़ साहित्यकार यू.आर. अनंतमूर्ति का किडनी फेल होने के बाद बेंगलुरु के अस्‍पताल में शुक्रवार को निधन हो गया. वह 82 वर्ष के थे. 10 दिन पहले तबीयत ज्‍यादा बिगड़ने पर इन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्‍टरों के मुताबिक गुरुवार से ही अनंतमूर्ति की तबीयत खराब होने लगी थी.

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कन्नड़ साहित्यकार यू.आर. अनंतमूर्ति
कन्नड़ साहित्यकार यू.आर. अनंतमूर्ति

मशहूर कन्नड़ साहित्यकार यू.आर. अनंतमूर्ति का किडनी फेल होने के बाद बेंगलुरु के अस्‍पताल में शुक्रवार को निधन हो गया. वह 82 वर्ष के थे. 10 दिन पहले तबीयत ज्‍यादा बिगड़ने पर इन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्‍टरों के मुताबिक गुरुवार से ही अनंतमूर्ति की तबीयत खराब होने लगी थी.

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राजगोपालाचार्य अनंतमूर्ति का जन्म कर्नाटक के शिमोगा जिले में 21 दिसंबर 1932 को हुआ. इन्हें नव्या मूवमेंट का प्रणेता माना जाता है. उनकी रचनाओं के अनुवाद हिंदी, बांग्ला, मराठी, मलयालम, गुजराती सहित अनेक भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, हंगेरियन आदि अनेक विदेशी भाषाओं में भी हुआ.

अनंतमूर्ति कन्नड़ साहित्य में छठे शख्स हैं, जिन्हें ज्ञानपीठ से नवाजा गया. 1998 में इन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया. अनंतमूर्ति केरल में महात्‍मा गांधी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रहे हैं. इन्‍होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मैसूर से मास्टर डिग्री हासिल की और बाद में स्‍कॉलरशिप लेकर पढ़ाई करने इंग्लैंड चले गए. इन्होंने यूनिर्वसिटी ऑफ बर्मिंघम से 1966 में 'पॉलिटिक्स ऐंड फिक्शन' पर डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की.

पढ़ाई पूरी करने के बाद अनं‍तमूर्ति ने यूनिवर्सिटी ऑफ मैसूर में अंग्रेजी के प्रोफेसर के तौर पर अपना करियर शुरू किया. 1992 में नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन बने और 1993 में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष बनाए गए.

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प्रमुख कृतियां
अनंतमूर्ति की 20 से अधिक कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें 'भव', 'संस्कार', 'भारतीपुर', 'अवस्थे' शीर्षक उपन्यासों के अलावा पांच समीक्षा-ग्रंथ हैं.

सम्‍मान
राज्योत्सव पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, पदम भूषण, मास्ती सम्मान, नदोजा पुरस्कार

कविता संग्रह
15 पदयाग्‍लु, मिथुना, अज्‍जाना हेगला सुक्‍कुगलु.

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