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विजय तेंदुलकर ने लिखा था ये नाटक, जिसका सबसे ज्यादा बार हुआ मंचन

जहां किक्रेट की दुनिया सचिन तेंदुलकर का बल्ला बोलता है. वहीं साहित्य की दुनिया में विजय तेंदुलकर की कलम बड़े-बड़े कलमकारों की बोलती बंद कर देती है.

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vijay tendulkar
vijay tendulkar

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मशहूर नाटककार और सिनेमा, टेलीविजन की दुनिया के पटकथा लेखक विजय तेंदुलकर की आज जयंती है. साहित्य की दुनिया में विजय तेंदुलकर की कलम बड़े-बड़े कलमकारों की बोलती बंद कर देती है. उन्होंने अपनी कलम से लीक से हटकर ऐसी रचनाएं लिख डाली जो सदा के लिए अमर हो गई.

जानते हैं उनके बारें में

- विजय का जन्म 6 जनवरी 1928 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ. महज 6 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कहानी लिखी.

- उनके पिता नौकरी के साथ ही प्रकाशन का भी छोटा-मोटा व्यवसाय करते थे, इसलिए पढ़ने-लिखने का माहौल उन्हें घर में ही मिल गया. वह नाटकों को देखते हुए बड़े हुए.

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- 6 साल की उम्र में पहली कहानी और 11 साल की उम्र में उन्होंने पहला नाटक लिखा. साथ ही उसमें काम किया और उसे निर्देशित भी किया. उन्हें मानव स्वभाव की गहरी समझ थी.

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- अपने लेखन के शुरुआती दिनों में विजय ने अखबारों में काम किया. भारत छोड़ों आंदोलन में भी उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई.

- संघर्ष के शुरुआती दौर में वह 'मुंबइया चाल' में रहे.

- कहा जाता है कि उनके बहुचर्चित नाटक 'घासीराम कोतवाल' का छह हजार से ज्यादा बार मंचन हो चुका है. इतनी बड़ी संख्या में किसी और भारतीय नाटक का अभी तक मंचन नहीं हो सका है.

- 1961 में उनका लिखा हुआ नाटक 'गिद्ध' खासा विवादास्पद रहा. 'ढाई पन्ने', 'सन्नाटा' कोर्ट चालू आहे', 'घासीराम कोतवाल' और 'सखाराम बाइंडर' विजय तेंदुलकर के लिखे बहुचर्चित नाटक हैं.

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- विजय ही ऐसे लेखक थे जिन्होंने मराठी थिएटर को एक नई ऊंचाइयां दीं.

- पांच दशक से ज्यादा समय तक सक्रिय रहे तेंदुलकर ने रंगमंच और फिल्मों के लिए लिखने के अलावा कहानियां और उपन्यास भी लिखे.

- उनके नाटक अक्सर कल्पना से परे होते थे. उन्हें लीक से हटकर लिखना पसंद था. वहीं अपने लीक से हटकर कहानियां लिखने के कारण उन्हें नाटकों का विरोध भी झेलना पड़ा. लेकिन फिर भी उन्होंने मौत, भ्रष्टाचार, महिलाओं और गरीबी पर भी जमकर लिखा.

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- उन्होंने 11 फिल्में लिखी जिनमें 'आक्रोश', 'अर्धसत्य' और 8 मराठी फिल्में शामिल थीं.- उन्हें श्याम बेनेगल की फिल्म मंथन की पटकथा के लिए साल 1977 में राष्ट्रीय पुरस्कार सम्मानित किया गया. साथ ही साल 1984 में उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया.

- 19 मई 2008 विजय तेंदुलकर 80 साल की उम्र में पुणे शहर के एक अस्तपताल में अंतिम सांस ली.

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