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व्यापम: विधि विश्वविद्यालय की मैरिट लिस्ट से चुने गए उम्‍मीदवारों का नाम हटाया

मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) ने भोपाल स्थित राष्ट्रीय विधि संस्था विश्वविद्यालय (एनएलआईयू) की 2001 से 2007 के बीच की योग्यता क्रम सूची (मैरिट लिस्ट) में दर्ज उम्‍मीदवारों का नाम हटा दिया है.

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मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम)
मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम)

मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) ने भोपाल स्थित राष्ट्रीय विधि संस्था विश्वविद्यालय (एनएलआईयू) की 2001 से 2007 के बीच की योग्यता क्रम सूची (मैरिट लिस्ट) में दर्ज उम्‍मीदवारों का नाम हटा दिया है.

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इस सूची में अब सिर्फ रोल नंबर बचा है.1997 में अस्तित्व में आने के बाद से 2007 तक इस संस्थान की प्रवेश परीक्षा कराने की जिम्मेदारी व्यापम के पास ही थी.

व्यापम घोटले को सामने लाने की कवायद में लगे अजय दुबे को यह जानकारी सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली है. उनका कहना है कि सूची से नाम हटाने का मकसद इसका लाभ पा चुके लोगों को बचाना है.

आरटीआई के तहत दुबे को नवंबर में व्यापम से प्री-बीए.एलएलबी (आॅनर्स) की 2000 से 2007 के बीच की योग्यता क्रम सूची मिली है. इससे पता चला है कि साल 2000 में तो इस सूची में रोल नंबर के साथ चयनित अभ्यर्थियों के नाम भी दिए गए हैं लेकिन 2001 से 2007 के बीच की सूची में सिर्फ रोल नंबरों का जिक्र है, चयनित अभ्यर्थ‍ियों के नाम इस सूची में नहीं हैं.

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दुबे ने बताया, 'एनएलआईयू की प्रवेश परीक्षा 2007 तक व्यापम ने कराई. इसके बाद संस्थान की यह परीक्षा कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सीएलएटी) के मातहत आ गई. आमतौर पर होता यही है कि अभ्यर्थी और उसके पिता का नाम योग्यता क्रम सूची में होता है लेकिन, 2000 के बाद उन्होंने अभ्यर्थियों का नाम सूची से हटा दिया क्योंकि वे इनकी पहचान छिपाना चाहते हैं. इससे यह ठोस संकेत मिलता है कि अभ्यर्थियों के चयन में प्रभावशाली लोगों की सिफारिशों ने किस हद तक भूमिका निभाई होगी. इसीलिए इन अभ्यर्थियों के साथ-साथ प्रभावशाली लोगों की पहचान छिपाने के लिए सभी संभव प्रयास किए गए हैं.'

इस बीच, आरटीआई से मिली एक अन्य जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश सरकार के लेखा परीक्षक ने 2006-2007 में एक परीक्षा के लिए नियुक्त विशेषज्ञों के भारी भरकम यात्रा व्यय पर सवाल उठाते हुए इस मामले की जांच कराने के लिए कहा था.

लोकल फंड ऑडिट ने महिला एवं बाल विकास परीक्षा के लिए 2 लाख उत्तर पुस्तिकाओं के फिर से छपवाए जाने पर भी सवाल उठाए थे. इससे 262,350 रुपये का नुकसान हुआ था. 1970 के बाद व्यापम में 1000 वित्तीय गड़बड़ियों की शिकायत मिली है जिन पर राज्य की लेखा परीक्षक टीमें सवाल उठा चुकी हैं.

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मध्य प्रदेश में व्यापम से जुड़े घोटाले कई वर्षों के दायरे में फैले हुए हैं, लेकिन यह सामने आया 2013 में जब 20 लोगों को इस आरोप में पकड़ा गया कि उन्होंने 2009 की मेडिकल प्रवेश परीक्षा किसी और के स्थान पर दी थी.

जांच शुरू होने के बाद यह मामला इससे जुड़े लोगों की मौत के साथ और रहस्यमयी होता गया. अब तक ऐसे 48 लोगों की रहस्यमयी मौत हो चुकी है जिनका संबंध किसी न किसी रूप में इस घोटाले से है. सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को इन मौतों की जांच करने के लिए भी कहा है.

सबसे ताजातरीन मौत भारतीय वन सेवा के अधिकारी विजय बहादुर सिंह की हुई है, जिनका शव 15 अक्टूबर को ओडिशा के बेलपाहद रेलवे स्टेशन के करीब रेलवे ट्रैक पर पड़ा मिला. सिंह पुरी-जोधपुर एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे थे. सीबीआई ने उनकी मौत की भी जांच शुरू कर दी है.

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