पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने शनिवार शाम को अनुशासनात्मक आधार पर जादवपुर विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति बुद्धदेव साव को पद से हटा दिया है. राजभवन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. चांसलर को शिकायत मिली थी कि वीसी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं. चांसलर ने कहा कि किसी भी वीसी को भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. यह निर्णय विश्वविद्यालय के रविवार को आयोजित होने वाले दीक्षांत समारोह से एक दिन पहले लिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट हमारी आखिरी उम्मीद है. वीसी पर लगे गंभीर आरोपों की जांच के लिए जांच कमेटी गठित की जाएगी. इस अनधिकृत दीक्षांत समारोह पर खर्च हुआ सार्वजनिक धन वीसी और अन्य जिम्मेदार लोगों के वेतन से वसूला जाएगा.
छात्रों ने चांसलर कार्यालय में शिकायत की है कि राजनीतिक दबाव में वीसी द्वारा बुलाये गये अवैध दीक्षांत समारोह में आने के लिए उन्हें अपने गरीब माता-पिता की मेहनत की कमाई खर्च करनी पड़ी. चांसलर कार्यालय ने कानूनी राय मांगी है कि क्या वीसी और उन राजनीतिक ताकतों से पैसा वसूल किया जा सकता है जिन्होंने वीसी पर अवैध दीक्षांत समारोह बुलाने का दबाव डाला था.
ओपी मिश्रा, जिनके खिलाफ जांच समिति ने प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और उत्पीड़न के आरोप साबित किए हैं, उनके खिलाफ कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा.
चांसलर दृढ़ संकल्पित हैं कि वह कानून और भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुसार विश्वविद्यालयों को साफ-सुथरा बनाएंगे
चांसलर का मानना है कि बंगाल के विश्वविद्यालय और छात्र सर्वश्रेष्ठ से बेहतर हैं. वह भ्रष्टाचार, राजनीति, हिंसा को बंगाल के महान विश्वविद्यालयों को नष्ट नहीं करने देंगे. बंगाल महान है, बंगाल के छात्र सबसे अच्छे हैं. चांसलर ने कहा, ''मैं बंगाल के विश्वविद्यालयों को राजनीति से नष्ट नहीं होने दूंगा.''यह अंत तक की लड़ाई है. बंगाल गुरुदेव और नेता जी की महान विरासत को पुनः प्राप्त करेगा.