अकसर किसी अपराध की जांच के सिलसिले में हम ब्रेन मैपिंग टेस्ट शब्द सुनते हैं. ब्रेन मैपिंग टेस्ट एक ऐसी जांच प्रक्रिया है, जिसके तहत आरोपी के मस्तिष्क की हलचलों की छवियों के जरिये उसके दोषी होने का पता लगाया जाता है. ब्रेन मैंपिंग टेस्ट का आविष्कार अमेरिकी न्यूरोलॉजिस्ट डॉ लारेंस ए फारवेल ने किया था. इस टेस्ट में अभियुक्त को कंप्यूटर से जुड़ा एक हेलमैट पहनाया जाता है, जिसमें कई सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे होते हैं.
जांच के दौरान फोरेंसिक विशेषज्ञ आरोपी को अपराध से जुड़ी वस्तुओं के चित्र दिखाते या कुछ ध्वनियां सुनाते हैं और उन पर आरोपी के मस्तिष्क की प्रतिक्रिया का निरीक्षण कर उसकी संदिग्धता का पता लगाते हैं. सेंसर मस्तिष्क की गतिविधियों को मॉनिटर करता है और पी 300 तरंगों को अंकित करता है. ये तरंगे तभी पैदा होती हैं, जब आरोपी का उन चित्रों और ध्वनियों से कोई संबंध होता है. निर्दोष आरोपी अपराध से जुड़ी ध्वनियों और चित्रों को पहचान नहीं पाते, जबकि दोषी संदिग्ध उन्हें पहचान लेते हैं.