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What is NCLAT, ऐसा ट्रिब्यूनल जहां सुलझते हैं बड़ी कंपनियों के मसले

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण National Company Law Appellate Tribunal (NCLAT) का गठन कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 410 के तहत किया गया था. जानिए- कैसे काम करता है.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

  • कंपनी के दिवालिया होने पर मामला NCLT के पास जाता है
  • इसके बाद इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल नियुक्त किया जाता है

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण National Company Law Appellate Tribunal (NCLAT) का गठन कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 410 के तहत किया गया था. ये 1 जून 2016 से राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए बनाया गया ट्रिब्यूनल है.

बता दें कि सबसे पहले किसी कंपनी के दिवालिया होने पर मामला नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के पास जाता है. यहां इसके लिए इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल नियुक्त किया जाता है, जिसे यह जिम्मा सौंपा जाता है कि वो 180 दिनों के भीतर कंपनी को रिवाइव करने का प्रयास करे. अगर कंपनी 180 दिनों के भीतर रिवाइव हो जाती है तो फिर से सामान्य कामकाज करने लग जाती है. अगर ऐसा नहीं होता तो उसे दिवालिया मानकर आगे की कार्रवाई की जाती है.

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वहीं एनसीएलएटी 1 दिसंबर, 2016 से इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 (IBC) की धारा 61 के तहत NCLT द्वारा दिए गए आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए अपीलीय न्यायाधिकरण के तौर पर काम कर रहा है. NCLAT सुनवाई की अपील के लिए अपीलीय न्यायाधिकरण भी है. ये इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया द्वारा धारा 202 और IBC की धारा 211 के तहत पारित आदेशों के खिलाफ काम करता है.

NCLAT कंपनी के अधिनियम 2013 की धारा 410 में लाए गए संशोधन के अनुसार भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा जारी किए गए किसी भी दिशा-निर्देश या निर्णय को पारित करने या किए गए आदेश के खिलाफ अपील को सुनने और निपटाने के लिए अपीलीय न्यायाधिकरण भी है. ये 2013 की धारा 172 के अनुसार वित्त अधिनियम, 2017, 26 मई, 2017 से प्रभावी होगा. न्यायमूर्ति एस.जे. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मुखोपाध्याय अब NCLAT के अध्यक्ष हैं.

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