सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों पर सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने केंद्र सरकार के फैसलों पर सवाल खड़े किए हैं. इसी के साथ धारा 144 के तहत जो भी रोक लगाई गई हैं, उन्हें सार्वजनिक करने को कहा गया है. कोर्ट ने कहा कि धारा 144 का इस्तेमाल किसी के विचारों को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धारा 144 का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है, बेहद जरूरी हालात में ही इंटरनेट को बंद किया जा सकता है. SC ने कहा कि धारा 144 को लंबे वक्त तक के लिए नहीं लगा सकते हैं, इसके लिए जरूरी तर्क होना चाहिए. ऐसे में आपको बता दें, क्या है धारा 144.
क्या है धारा 144
कहीं भी किसी भी शहर में हालात बिगड़ने की संभावना होती है जिससे आम नागरिकों और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचे उस दौरान धारा-144 लगा दी जाती है. इस धारा को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी एक नोटिफिकेशन जारी करता है. जिस जगह भी यह धारा लगाई जाती है, वहां चार या उससे ज्यादा लोग जमा नहीं हो सकते हैं. इस धारा को लागू किए जाने के बाद उस स्थान पर हथियारों के लाने ले जाने पर भी रोक लगा दी जाती है.
उल्लंघन करने वालों के लिए सजा
जो भी नागरिक धारा-144 का उल्लंघन करता है. उस व्यक्ति को पुलिस गिरफ्तार कर सकती है. उस व्यक्ति की गिरफ्तारी धारा-107 या फिर धारा-151 के तहत की जा सकती है. इस धारा का उल्लंघन करने वाले या पालन नहीं करने के आरोपी को एक साल कैद की सजा भी हो सकती है. वैसे यह एक जमानती अपराध है, इसमें जमानत भी हो जाती है.
खराब व्यवहार की इजाजत नहीं देता कानून
कुछ प्रकार के मानव व्यवहार ऐसे होते हैं जिसकी कानून इजाजत नहीं देता. ऐसे व्यवहार करने पर किसी व्यक्ति को उसके नतीजे भुगतने पड़ते हैं. खराब व्यवहार को अपराध या गुनाह कहते हैं. और इसके नतीजों को दंड यानी सजा कहा जाता है.
कब लागू की जाती है धारा 144
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973, CRPC) के तहत आने वाली धारा 144 शांति और तनावमुक्त माहौल बनाए रखने के लिए लागू की जाती है. दंगा, लूटपाट, हिंसा, मारपीट को रोकने के लिए इस धारा को लागू किया जाता है.