गूगल पर The End of India को लेकर चर्चाएं तेज हैं. पूर्व क्रिकेटर और बीसीसीआई प्रमुख की बेटी सना गांगुली ने द एंड ऑफ इंडिया किताब का एक अंश शेयर किया है. ठीक वही अंश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी शेयर किया है. आइए जानें- खुशवंत सिंह की इस किताब को लेकर इतनी चर्चाएं क्यों हो रही हैं. इस किताब में ऐसा क्या लिखा है जिसे लेकर भारत में इतना बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. हालांकि सौरव गांगुली ने लोगों से अपनी बेटी को इन सबसे दूर रखने की अपील की है.
बता दें कि सौरव गांगुली की 18 साल की बेटी सना जो 12वीं की छात्रा हैं. उन्होंने 18 दिसंबर को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर खुशवंत सिंह की किताब के एक अंश को पोस्ट किया था. मशहूर लेखक खुशवंत सिंह की किताब 'द एंड ऑफ इंडिया' के इस अंश में फासीवादी ताकतों के खिलाफ लिखा गया था. जो पृष्ठ पोस्ट किया गया था उसमें लिखा था कि फासीवादी ताकतें हमेशा एक या दो कमजोर वर्ग को निशाना बनाती हैं. नफ़रत के आधार पर उपजा आंदोलन तभी तक चल सकता है जब तक भय और संघर्ष का माहौल बना रहे. उन्होंने पोस्ट में लिखा था कि आज हम में से जो लोग यह सोच कर ख़ुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं कि वो मुसलमान या ईसाई नहीं हैं, वो मूर्खों की दुनिया में जी रहे हैं. हालांकि बाद में वह पोस्ट डिलीट कर दी गई थी.
देखें इमरान खान का ट्वीट
उन्होंने ये नॉन फिक्शन फिक्शन किताब साल 2003 में लिखी थी. मृत्यु के पांच साल बाद कॉलमनिस्ट, जर्नलिस्ट और लेखक खुशवंत सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं. ये चर्चा उनकी सबसे विवादास्पद पुस्तकों में से एक की वजह से हो रही है. उन्होंने 2003 में गुजरात दंगों के एक साल बाद ये किताब लिखी थी. इस किताब को पेंग्विन बुक्स ने प्रकाशित किया था.Prophetic words of Khushwant Singh who foresaw where India was headed with its racial supremacist ideology pic.twitter.com/jdhQP0LRRx
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) December 19, 2019
अपनी किताब के अवलोकन में उन्होंने लिखा है कि मुझे लगा कि जैसे राष्ट्र खात्मे की ओर बढ़ रहा है. आधी सदी पहले देश बंटवारे की हिंसा का गवाह बना था. इतने दिनों में देश में बहुत कुछ बेहतर हो सकता था, लेकिन लग रहा है कि इससे और बुरा शायद अभी होना बाकी है. अपनी किताब में उन्होंने देश दुनिया में नस्ल, धर्म और जातीय हिंसा की तमाम घटनाओं का हवाला भी दिया है.
किताब में उन्होंने लिखा है कि पूरी तरह से संभावना है कि भारत भविष्य में पहले जैसा हो जाएगा. उनकी ये किताब बहुत चर्चा में रही. उन्होंने किताब में 2002 में गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा के विश्लेषण से लेकर 1984 के सिख विरोधी दंगे, ग्राहम स्टेंस और उनके बच्चों को जलाना, पंजाब और कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा लक्षित हत्या के बारे में लिखा है. खुशवंत सिंह ने धर्म के पूर्ण भ्रष्टाचार के बारे में सोचने पर मजबूर किया है. वो कहते हैं कि इसी ने हमें हमें पृथ्वी पर सबसे क्रूर लोगों में शामिल किया है. वो यह भी बताते हैं कि कट्टरवाद का राजनीति के साथ धर्म से कम लेना-देना है. उन्होंने किताब में सांप्रदायिक राजनीति पर भी लिखा है.
कहते हैं कि हमने उन्हें चुना है, उनका पोषण किया है, और अपने आपको उनके हवाले कर दिया है. उन्होंने कश्मीर और पूर्वोत्तर में विद्रोह, बिहार में जाति युद्ध, बिखरे हुए नक्सली आंदोलन, और अल्पसंख्यकों का यहूदी बोध को इस बात का प्रमाण माना है कि जातीय, क्षेत्रीय और नस्लीय पहचान के हमारे जुनून ने देश को पीछे छोड़ दिया है, इतना पीछे कि उसे वापस न लाया जा सके. फिलहाल इस किताब को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गए हैं. जिस वक्त ये किताब प्रकाशित हुई थी, कई संगठनों ने इसका भारी विरोध किया था.
बता दें कि नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पूरे देश में चल रहे विरोध प्रदर्शन की कड़ी में कई सेलिब्रिटी और प्रबुद्ध वर्ग के लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं. सना गांगुली और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसी परिप्रेक्ष्य में इस किताब का हवाला देते हुए इसका एक हिस्सा सोशल मीडिया पर साझा किया था. फिलहाल सना ने इसे डिलीट कर दिया है.