अमेरिका में कोरोना वायरस ने कहर मचा रखा है. यहां कोरोना से मौत के मामले हर दिन बढ़ रहे हैं. अब तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 12 हजार से भी ज्यादा हो चुकी है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोविड-19 महामारी से निपटने के मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर अपना गुस्सा जाहिर किया है. ट्रंप ने WHO पर चीन का ज्यादा ध्या देने का आरोप लगाते हुए फंडिंग रोकने की धमकी भी दे डाली है. ट्रंप ने आरोप लगाया है कि WHO न केवल अमेरिकी लोगों के लिए नाकाम हुआ, बल्कि वह कोविड-19 से निपटने में घोर लापरवाही के चलते वैश्विक मोर्चे पर भी नाकाम रहा है.जानें- डब्ल्यूएचओ से जुड़ी ये खास बातें-
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क्या है WHO
WHO यानी World Health Organisation जिसे हिन्दी में विश्व स्वास्थ्य संगठन कहा जाता है, इसकी UN द्वारा 7 अप्रैल 1948 में स्थापना की गई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेषज्ञ एजेंसी है. वैसे ये एक इंटरनेशनल संगठन है जो अपने साथ जुड़े सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के साथ मिलकर काम करता है. इसका मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा में है. वर्तमान में डब्ल्यूएचओ के हेड टेड्रोस एडहानॉम (Tedros Adhanom) हैं.
इस फील्ड में है काम
डब्ल्यूएचओ मातृ, नवजात, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य, एपेडेमिक कंट्रोल और अन्य रोग एवं स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक और स्वास्थ्य सुरक्षा और आपात स्थितियों पर काम करता है. संगठन की नजर पूरी दुनिया के हेल्थ पैटर्न और सिचुएशन पर रहती है. इसके पास दुनिया का सबसे बड़ा Blood Bank है दुनिया की कई बीमारी जैसे- हैजा, मलेरिया, चेचक, वायरस आदि बीमारियों को रोकने के लिए WHO अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है.
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WHO के 193 देश सदस्य हैं जिनमें भारत भी है. WHO अब तक 10 जानलेवा बीमारियों की पहचान कर चुका है जिनमे कैंसर, सेरिब्रोवेस्क्यूलर डिजीज, एक्यूट लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन, पेरिनेटल कंडिशंस, टी.बी.,कारोनरी हार्ट डिजीज, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अतिसार, डेसेन्टरी, तथा एड्स या एचआईवी शामिल हैं.
कहां से आती है फंडिंग
बता दें कि डब्ल्यूएचओ की फंडिंग का अमेरिका सबसे बड़ा जरिया है. डब्ल्यूएचओ ने 2019-2023 के लिए 14.14 बिलियन अमेरिकी डॉलर निवेश का लक्ष्य रखा है. WHO की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक ये वह राशि है जो डब्ल्यूएचओ को अपनी पांच साल की रणनीति और उसके महत्वाकांक्षी ट्रिपल बिलियन लक्ष्य पर देने की आवश्यकता है. WHO का कहना है कि उनकी पहुंच एक अरब से कहीं ज्यादा लोगों तक है, इसलिए उन्हें इसके लिए ट्रिपल बिलियन निवेश की जरूरत है. बता दें कि डब्ल्यूएचओ को सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि उनके सदस्य देशों में शामिल सभी समूहों से फंडिंग मिलती है जो कि बिलियन में है.