विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 62 शिक्षण संस्थानों को पूर्ण स्वायत्तता दी है, जिसके बाद से वो अपनी दाखिला प्रक्रिया, फीस की संरचना और पाठ्यक्रम तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे. इन 62 संस्थानों में पांच केंद्रीय विश्वविद्यालयों, 21 राज्य विश्वविद्यालयों, 26 निजी विश्वविद्यालयों और 10 अन्य कॉलेजों को स्वायत्त कॉलेज नियमन के तहत स्वायत्तता दी गई है. पूर्व स्वायत्तता मिलने से शिक्षण संस्थान बिना किसी दखल के कई फैसले खुद ही कर सकेंगे. आइए जानते हैं इससे क्या असर होगा...
नए कोर्स कर सकेंगे चालू
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि यह सभी संस्थान बगैर यूजीसी की अनुमति के ही नए कोर्स और विभाग चालू कर सकेंगे और इसका पाठ्यक्रम भी अपने अनुसार सकेंगे. वहीं ऑफ कैंपस गतिविधियां, रिचर्स पार्क, कौशल विकास के नए कोर्स और विदेशी छात्रों के प्रवेश संबंधित नए नियम भी बना सकेंगे. स्वायत्ता मिलने के बाद संस्थान खुद परीक्षाओं का मूल्यांकन कर सकेंगे और उन्हें डिग्री विश्वविद्यालय से ही हासिल होगी. पहले नया पाठ्यक्रम या विभाग शुरू करने के लिए पहले यूजीसी के पास आना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें इससे छूट मिल जाएगी.
UGC ने दी इन 62 शिक्षण संस्थानों को स्वायत्तता, देखें पूरी लिस्ट
शिक्षकों को लेकर आजादी
स्वायत्तता मिलने के बाद ये संस्थान विदेशी शिक्षकों को भी अपने यहां नियुक्त कर सकते हैं और अपनी मर्जी से कुछ शिक्षकों को वेतन भी दे सकेंगे. उन्हें शिक्षकों के वेतन को लेकर अलग से कोई अनुमति नहीं लेनी होगी. साथ ही वो अपने संस्थान में विदेशी छात्रों को भी प्रवेश दे सकेंगे.
विदेशी विश्वविद्यालयों से कर सकेंगे समझौता
ये संस्थान दुनिया के किसी भी विश्वविद्यालय के साथ समझौता कर सकेंगे. साथ ही दूरस्थ शिक्षा भी शुरू कर सकेंगे. बता दें कि पहले ये समझौते करने के लिए यूजीसी से अनुमति लेनी होती थी.
कॉलेजों को भी फैसला लेने की छूट
इन शिक्षण संस्थानों में 8 कॉलेजों का नाम भी है और जिन आठ महाविद्यालयों को स्वायत्तता दी गई है, वे खुद अपने पाठ्यक्रम तैयार कर पाएंगे. अपने विद्यार्थियों की परीक्षा खुद ले पाएंगे, मूल्यांकन भी अपने स्तर पर ही कर पाएंगे और उन्हें अंक पत्र दे सकेंगे. हालांकि उनके अंक पत्र पर महाविद्यालय के नाम के साथ विश्वविद्यालय का नाम भी अंकित होगा, जिससे वे महाविद्यालय संबद्ध हैं.
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बता दें कि पहले भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आइआइएम) को कानून बनाकर पूर्ण स्वायत्तता दी गई, जिसका पूरी दुनिया ने स्वागत किया. साथ ही अब दस सार्वजनिक और दस निजी विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए चयन प्रक्रिया चल रही है, इसके लिए 116 विश्वविद्यालय आवेदन कर चुके हैं. सरकार का कहना है कि इन फैसलों से शिक्षा के स्तर में सुधार होगा.