वैसे तो हम घटनाओं और खबरों के चरम काल में रह रहे हैं. जहां कोई अच्छी या बुरी खबर हम तक करंट की रफ्तार से पहुंचती है. कुछ खबरें अपनी मौत मर जाती हैं तो वहीं कुछ खबरें ऐतिहासिक हो जाती हैं. लंदन से आने वाली यह खबर भी ऐतिहासिक संदर्भ रखती है, चाहे प्रतीतात्मक तौर पर ही सही. वहां बीते दिनों पाकिस्तानी मूल के सादिक खान को लंदन का मेयर चुन लिया गया है.
खास बात यह है कि इस पद तक पहुंचने वाले वह पहले अप्रवासी मुसलमान हैं. उनका दुनिया के सबसे खूबसूरत और सांस्कृतिक तौर पर समृद्ध शहर का मेयर चुना जाना सुकून तो देता ही है. बता दें कि वे ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सदस्य व नेता हैं.
सादिक के पिता बस ड्राइवर थे...
सादिक का परिवार कभी बेहद गरीबी और संघर्ष के दिनों से गुजरा है. उनके पिताजी एक बस ड्राइवर थे और मध्यम वर्गीय परिवार में मौजूद सात भाई-बहनों के लिए दो जून की रोटी जुगाड़ करना कोई आसान काम नहीं था. उनका परिवार एक अप्रवासी परिवार था और उन्हें ब्रिटेन के प्रजातांत्रिक ढाचे से काफी सहूलियतें मिलीं. उस दौर में उन्होंने राज्य द्वारा वित्त प्रदत्त स्कूलों में पढ़ाई की और अच्छे नंबर लाकर विश्वविद्यालयों का रुख किया.
चुनाव प्रचार में हुआ मोदी कार्ड का इस्तेमाल...
लंदन के मेयर चुनाव में भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी खूब चलाया गया. हिंदू और सिख वोटरों को लुभाने के लिए सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी के उम्मीदवार जैक गोल्डस्मिथ ने मोदी कार्ड खेलने की कोशिश की. हालांकि सादिक खान ने उन्हें फिर भी हरा दिया.
सादिक कट्टरपंथ के सख्त खिलाफ हैं...
सादिक पूरी दुनिया और खास तौर पर ब्रिटेन के भीतर बढ़ने वाले कट्टरपंथ पर कहते हैं कि उनकी पहली प्राथमिकता लंदन को सुरक्षित रखने की होगी - चाहे वह हिंसक अपराधी हों या असामाजिक तत्व. वे कहते हैं कि उन्हें इसमें संकोच नहीं है कि वे ब्रिटिश मुसलमान हैं और कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई लड़ने को प्रतिबद्ध हैं.
अब हम तो बस यही उम्मीद करते हैं कि सादिक खान का यह तेवर बरकरार रहें और वे इसी तरह करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणापुंज बनें.