एंथनी स्टीफन फाउची अमेरिकी फिजीशियन और इम्यूनोलॉजिस्ट यानी प्ररतिरक्षाविज्ञानी हैं. उनका जन्म 24 दिसंबर, 1940 में हुआ था. डॉ एंथनी ने साल 1984 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज (NIAID) के निदेशक के रूप में कार्य किया है. फिर जनवरी 2020 से वो संयुक्त राज्य अमेरिका में 2019-20 कोरोनोवायरस महामारी को संबोधित करने वाले व्हाइट हाउस कोरोनावायरस टास्क फोर्स के प्रमुख सदस्य हैं.
जानिए कोरोना पर डॉ फाउची ने क्या कहा
सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. फाउची ने कहा कि कोरोना वायरस फैलने से पहले अमरीका जिस स्थिति में था वहां शायद कभी नहीं पहुंच पाएगा अगर इस महामारी का कोई असरदार इलाज या वैक्सीन नहीं मिलते. मीडिया से बातचीत के दौरान उनसे पूछा गया कि क्या बिना किसी वैक्सीन या इलाज के देश में हालात सामान्य हो सकते हैं? इस पर डॉ. फाउची ने कहा कि यदि सब कुछ सामान्य होने का मतलब है कि कभी कोरोना वायरस जैसी महामारी आई ही नहीं, मुझे नहीं लगता कि ऐसा तब तक संभव हो पाएगा जब तक कि हम आबादी को इससे पूरी तरह बचा पाने में समर्थ न हो जाएं.
अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (NIH) के साथ एक चिकित्सक के रूप में उन्होंने पचास वर्षों में विभिन्न क्षमताओं में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा की है. उन्होंने एनआईएच में एनआईएआईडी के प्रमुख और एक वैज्ञानिक के रूप में एचआईवी / एड्स अनुसंधान और अन्य इम्युनोडेफिशिएंसी में योगदान दिया है. न्यूयॉर्क टाइम्स ने डॉ एंथनी को को "संक्रामक रोगों पर देश का प्रमुख विशेषज्ञ" कहा है.
कोरोना पर फुल कवरेज के लिए यहां क्लिक करेंडाॅ फाउची ने कहा कि लेकिन जब हम चीज़ों के सामान्य होने की बात कहते हैं तो वो उससे पूरी तरह अलग स्थिति होती है, जिससे हम अभी गुज़र रहे हैं. क्योंकि अभी हम बेहद बुरी स्थिति से गुज़र रहे हैं. कोरोना वायरस को बिना किसी वैक्सीन या असरदार इलाज के पूरी तरह ख़त्म नहीं किया जा सकता.
डॉ एंथनी के पिता एक फार्मासिस्ट थे, वहीं से फाउची को दवाओं के प्रति रुचि जगी. डॉ एंथनी की उपलब्धियों की बात करें तो अब वो कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अवलोकन कर चुके हैं जो मानव प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के नियमन की दिशा में बड़ा योगदान हैं. उन्होंने पूर्व में घातक बीमारियों जैसे पॉलीआर्थराइटिस नोडोसा, पॉलीओन्जाइटिस के साथ ग्रैनुलोमैटोसिस और लिम्फोमाटॉइड ग्रैनुलोमैटोसिस के लिए चिकित्सा विकसित की.
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साल 1985 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी आर्थराइटिस सेंटर ऑफ द अमेरिकन रयूमैटिज़्म एसोसिएशन के सर्वेक्षण में पॉलियोनाइटिस के साथ पॉलीटेराइटिस नोडोसा और ग्रैनुलोमैटोसिस के उपचार पर डॉ फाउची के काम को पहचान और रैंक मिली. वो पिछले 20 सालों में रुमेटोलॉजी में रोगी प्रबंधन पर काम कर चुके हैं. जिस पर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी जून 2014 में बधाई दी थी.
एचआईवी पर किया ये काम
डॉ फाउची ने यह समझने में योगदान दिया है कि एचआईवी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को किस तरह एड्स की प्रगति के लिए नष्ट कर देता है. डॉ फाउची ने रोग के साथ रोगियों के उपचार और प्रतिरक्षा पुनर्गठन के लिए रणनीतियों को विकसित करने का काम किया है. उन्होंने एचआईवी संक्रमण को रोकने के लिए एक टीका तैयार करने के लिए भी काम किया है. साल 2003 में, इंस्टीट्यूट फॉर साइंटिफिक इंफॉर्मेशन ने कहा कि 1983 से 2002 तक डॉ फाउची दुनिया भर के सभी विषयों के 2.5 से 3 मिलियन लेखकों में सबसे ज्यादा लिखने और पढ़े जाने वाले वैज्ञानिक थे, जिन्होंने वैज्ञानिक पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित किए.