दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक वाराणसी वायरलेस शहर बन गया है. यहां सिर के ऊपर लटकते बिजली के तारों से बने जंजाल को एक तरह से खत्म कर दिया गया है. जिसके बाद इस शहर को ओवरहेड बिजली के तारों से पूरी तरह छुटकारा मिल गया है.
बिजली विकास योजना (IPDS) परियोजना का संचालन करने वाली कंपनी पावरग्रीड ने वाराणसी के 16 स्क्वॉयर किलोमीटर इलाके में अंडरग्राउंड बिजली के तारों काे बिछाने का काम पूरा कर लिया है. ये काम 2 साल पहले शुरू किया गया था.
50,000 ग्राहकों को मिलेगा फायदा
सिर के ऊपर बिजली के लटकते तारों से लोगों को दिक्कतों का सामना करना था. जिस इलाके में अंडरग्राउंड तार बिछाए गए है वह भीड़भाड़ वाली मार्किट है. ऐसे में लोगों को खरीददारी में काफी परेशानी होती थी. लेकिन अब अंडरग्राउंड तार बिछने के बाद 50,000 ग्राहकों को इसका फायदा मिल रहा है.
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पावरग्रिड प्रोजेक्ट मैनेजर सुधाकर गुप्ता ने कहा कि वाराणसी में आईपीडीएस को काम पूरा करने में पूरे 2 साल का समय लगा. काम दिसंबर 2017 में समाप्त हो गया था. काम के दौरान हमने महसूस किया कि वाराणसी में अंडरग्राउंड तार बिछाने के लिए सबसे जटिल शहर है.
नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में किया था योजना का उद्घाटन
पूर्व केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने जून 2015 में 432 करोड़ से अंडरग्राउंड तार बिछाए जाने की घोषणा की थी. जिसके बाद सितंबर 2015 में पीएम नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में देश के लिए 45,000 करोड़ रुपये की आईपीडीएस का योजना का उद्घाटन किया था.
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बता दें, इस प्रोजेक्ट के लिए पीयूष गोयल ने नियमित रूप से निगरानी रखी. उन्होंने कहा काम को पूरा 1 साल में होना था लेकिन इसमें दो साल लग गए. वहीं तार जिस जगह बिछाए जाने थे उन लाइनों का कोई नक्शा नहीं था. जिसकी वजह से पावरग्रीड के श्रमिकों को चोट भी पहूंची. जिसके बाद सबसे पहले पुराने सबस्टेशन को हटाकर उन्हें आधुनिक किया गया. दो नए लोग चौक और कज्जाकपुरा इलाके में बने हैं.
पूर्वांचल विद्युत वृतान निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अतुल निगम ने कहा कि अंडग्राउंड तारों के बिछने के बाद नुकसान कम हो गया है. उन्होंने कहा कि आईपीडीएस द्वारा कवर क्षेत्र में लाइन नुकसान 42.7% से घटकर 9.9% हो गया है, वहीं लोगों की शिकायतें भी कम हो गई हैं.