प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना 'मेक इन इंडिया' की जरूरतों के अनुसार देश भर में स्किल्ड वर्कफोर्स को बढा़ने के लिए यह कदम उठाया जाएगा. भारत सरकार दिसंबर 2016 के बाद सरकारी और पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSU) में नौकरी देने के क्राइटेरिया में बदलाव कर सकती है.
स्किल डेवलपमेंट एंड इंटरप्रेन्योरशिप राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि हमारे देश में स्किल्ड लोग नहीं है, जब तक हमारे पास स्किल्ड वर्कर्स नहीं होंगे तब तक 'मेक इन इंडिया' का सपना पूरा नहीं हो सकता. सरकार आने वाले सालों में नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क को लागू करके स्किल क्वालिफिकेशन को अन्य जरूरी डिग्रीयों की तरह ही आवश्यक कर देगी.
स्किल की जरूरत को बताते हुए रूडी ने कहा, 'साउथ कोरिया में 96 फीसदी, जर्मनी में 75 फीसदी, ब्रिटेन में 70 फीसदी स्किल्ड लोग हैं. वहीं, भारत में इसकी तुलना में सिर्फ दो फीसदी लोग ही स्किल्ड हैं.'
स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत अगले दो सालों में भारत सरकार 5 करोड़ लोगों को स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग देगी. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत सरकार पूरे देश में 25 जगहों पर 2500 मल्टी टास्किंग इंस्टीट्यूट्स खोलेगी.
इन इंस्टीट्यूट्स की मदद से 2022 तक करीब 50 करोड़ लोगों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा गया है. स्किल डेवलपमेंट पर कुल 24000 करोड़ खर्च किए जाएंगे. यह राशि पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप के द्वारा हासिल की जाएगी.