राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आग गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से संसद में मंगलवार को जानकारी दी गई है कि पूरे देश में NRC लाने का अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है. असम के लिए एनआरसी एक बड़ा मुद्दा है, लिहाजा वहां से भी प्रतिक्रिया आने लगी हैं.
बीजेपी नेता और असम सरकार में मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि असम एनआरसी मुख्य रूप से न्यायपालिका और राज्य सरकार के बीच का मामला है, केंद्र सरकार द्वारा इसमें कुछ तय नहीं होना है. उन्होंने कहा कि हमारा मामला कोर्ट में है और संसद में जो बताया गया है उससे इसका कोई ताल्लुक नहीं है.
गौरतलब है कि असम में एनआरसी को लेकर लंबे समय से घमासान छिड़ा हुआ है. असम में एनआरसी लागू होने के बाद इस पर जमकर बवाल हुआ था. बड़ी तादाद में ऐसे लोग थे जिनका नाम रजिस्टर में नहीं आया था और उनकी नागरिकता पर खतरा आ गया था. सरकार का मकसद मुख्य रूप से अवैध रूप से बांग्लादेश से आए लोगों को बाहर करना है, जबकि एनआरसी लागू होने से बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी लिस्ट से गायब हो गए थे जो खुद के भारतवासी होने का दावा करते हैं. अब जबकि असम में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं तो एनआरसी का मुद्दा एक बार फिर केंद्र में है.
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रोहिंग्या पर भी संसद में जवाब
वहीं, संसद में रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर पूछे गए एक सवाल का भी जवाब दिया गया है. राज्यसभा में गृह मंत्रालय ने सांसद किरोड़ी लाल मीणा के सवाल पर दिए जवाब में बताया है कि जिस किसी शख्स के पास मुनासिब कागजात नहीं है उन्हें वापस भेजने के नियम है और इसी के तहत 2014 और 2019 में भी राज्यों को रोहिंग्या को वापस भेजने के निर्देश दिए गए हैं.