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CAA का जिक्र नहीं, मूल निवासियों से संवाद, उत्तरी असम से चुनाव प्रचार शुरू क्यों कर रहे हैं PM मोदी

2016 के विधानसभा चुनाव में असम में बीजेपी 60 सीटें जीत पाई थी. असम में विधानसभा की 126 सीटें हैं. 2016 में इन 60 सीटों में बीजेपी ने 26 सीटें सिर्फ ऊपरी असम और उत्तरी असम में जीती थी.

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असम के शिवसागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- पीटीआई)
असम के शिवसागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 2016 में 42 में 26 सीटें जीती थी बीजेपी
  • उत्तरी असम और ऊपरी असम में प्रदर्शन सुधारना चाहती है
  • मूल निवासियों से संवाद, CAA को लेकर नाराजगी बरकरार

पीएम नरेंद्र मोदी 15 दिनों में दूसरी बार असम के दौरे पहुंचे हैं. इससे पहले पीएम मोदी 23 जनवरी को ऊपरी असम के शिवसागर में पहुंचे थे और वहां पर 1 लाख 6 हजार भूमिहीन मूल निवासियों को सरकारी जमीन का पट्टा दिया था. 

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सवाल है कि पीएम मोदी ने ऊपरी असम के शिवसागर को और उत्तरी असम के ढेकियाजुली को अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करने के लिए क्यों चुना है. असम में इसी साल अप्रैल-मई में विधानसभा के चुनाव होने को है. 
 
बता दें कि 2016 के असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ऊपरी असम बेल्ट में 16 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस यहां 7 सीटें जीत पाई थी. असम गण परिषद (AGP) यहां 5 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी.

उत्तरी असम बेल्ट में बीजेपी ने 10 सीटें जीती थीं, जबकि AGP के खाते में 2 और बदरुद्दीन अजमल की AIUDF को एक सीट मिली थी. यहां पर एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जीती थी. 

चुनावी समीकरण पर बीजेपी की नजर

2016 के विधानसभा चुनाव में असम में बीजेपी 60 सीटें जीत पाई थी. असम में विधानसभा की 126 सीटें हैं. 2016 में इन 60 सीटों में बीजेपी ने 26 सीटें सिर्फ ऊपरी असम और उत्तरी असम में जीती थी. बता दें कि राज्य के 126 सीटों में ऊपरी असम और उत्तरी असम बेल्ट में विधानसभा की 42 सीटें हैं. ये सीटें 11 जिलों में फैली हुई हैं. 

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बीजेपी इस बार के विधानसभा चुनाव में इस टैली को सुधारना चाहती है. इन दोनों ही इलाकों में चाय कम्युनिटी के लोगों की बहुलता है. चाय कम्युनिटी में वे स्थानीय लोग आते हैं जो चाय के बगानों में काम करते हैं और जीवन यापन के लिए इस पर निर्भर रहते हैं. 

मूल निवासियों को लुभा रही है बीजेपी

ऊपरी असम और उत्तरी असम बेल्ट में चाय कम्युनिटी के अलावा, स्थानीय अहोम, मोरान, मोटोक, सोनोवाल, कचरी, मिसिंग समुदाय के मूल निवासी रहते हैं. बीजेपी इन्ही समुदायों से संपर्क और संवाद स्थापित कर रही है और अपने पिछले प्रदर्शन को और सुधारना चाहती है.  
 
पिछली बार पीएम मोदी जब असम के शिवसागर जिले में आए थे तब उन्होंने 1 लाख 6 हजार स्थानीय परिवारों के जमीन का पट्टा दिया था. इनमें से ज्यादातर लाभुक ऊपरी असम और उत्तर असम बेल्ट के हैं. 
 
CAA का जिक्र नहीं 

23 जनवरी को शिवसागर में अपने संबोधन में पीएम मोदी ने 'मूल निवासी' शब्द का 7 बार इस्तेमाल किया था. लेकिन उन्होंने CAA यानी की नागरिकता संशोधन कानून शब्द का प्रयोग एक बार भी नहीं किया था. इसकी ये वजह थी कि यहां के लोग CAA के प्रावधानों का अभी भी विरोध कर रहे हैं और पीएम मोदी इस बात को जानते हैं. इसलिए बीजेपी इस समुदाय को खुश रखने की कोशिश में है. 

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