असम के चाय बागान देश-दुनिया में मशहूर हैं. लेकिन इन चाय बागानों के मजदूरों के असल हालात क्या हैं, ये कोई देखने की जहमत नहीं उठाता. दरअसल इन मजदूरों को दिनभर की जी तोड़ मेहनत के बाद महज 175 रुपये के आसपास ही दिहाड़ी दी जाती है. हालांकि प्रदेश में चुनाव के बीच सियासी दलों ने कई वादे किए. बीजेपी और कांग्रेस ने इन चाय बागान मजदूरों के लिए मजदूरी बढ़ाने के वादे किए. जिसपर हाईकोर्ट की ओर से रोक लगा दी गई है. चाय बागान मैनेजमेंट इन मजदूरों को दिहाड़ी देता है, लेकिन दिहाड़ी राज्य सरकार तय करती है. इन चाय बागान मजदूरों की मजदूरी की रकम हमेशा से असम में सबसे बड़े राजनीतिक मुद्दों में से एक रही है. देखिए ये एक्सक्लूसिव ग्राउंड रिपोर्ट.