scorecardresearch
 

'डायरी ऑफ ए होम मिनिस्टर' से गरमाई महाराष्ट्र की सियासत... अनिल देशमुख ने अपनी किताब में फडणवीस पर लगाए गंभीर आरोप

महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपनी किताब में मुख्य रूप से चार आरोप लगाए हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें प्रस्ताव दिया गया था कि यदि वह उनकी पेशकश स्वीकार करते हैं तो उनके खिलाफ ईडी और सीबीआई मामले की कार्यवाही रद्द कर दी जाएगी, उन्हें चार पॉइंट्स के साथ एक ब्राउन रंग का लिफाफा दिया गया था, जिसके संबंध में उन्हें हलफनामा दायर करने के लिए कहा गया था.

Advertisement
X
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने किताब लॉन्च की है
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने किताब लॉन्च की है

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव करीब हैं. इससे कुछ हफ्ते पहले ही पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी (शरद पवार) पार्टी के नेता अनिल देशमुख ने अपनी किताब 'डायरी ऑफ ए होम मिनिस्टर' जारी की है, जिसने महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. किताब में किए गए दावों में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस जैसे नेताओं पर आरोप लगाया गया है कि देशमुख के जरिए कुछ अन्य शीर्ष नेताओं को फंसाने की साजिश की जा रही है.

Advertisement

देशमुख ने किताब में मुख्य रूप से चार आरोप लगाए हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें प्रस्ताव दिया गया था कि यदि वह उनकी पेशकश स्वीकार करते हैं तो उनके खिलाफ ईडी और सीबीआई मामले की कार्यवाही रद्द कर दी जाएगी, उन्हें चार पॉइंट्स के साथ एक ब्राउन रंग का लिफाफा दिया गया था, जिसके संबंध में उन्हें हलफनामा दायर करने के लिए कहा गया था. इन चार पॉइंट में दिशा सालियान की मौत में आदित्य ठाकरे की संलिप्तता के बारे में, तत्कालीन एनसीपी नेता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार अपने बेटे पार्थ पवार के साथ अनिल देशमुख से मिले थे और पार्थ पवार गुटखा निर्माताओं से पैसा इकट्ठा करना चाहते थे.

अपनी किताब में अनिल देशमुख ने आरोप लगाते हुए कहा कि तीसरा पॉइंट ये था कि शिवसेना नेता अनिल परब ने दापोली में साईं रिसॉर्ट में पैसा लगाया है और केवल कागजात सदानंद कदम के नाम पर हैं. चौथा पॉइंट ये कि शिवसेना नेता और तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने बीएमसी चुनाव के लिए देशमुख से 300 करोड़ रुपये की मांग की थी. आरोप लगाया गया है कि ये वो पॉइंट थे जिनका उल्लेख हलफनामे में किया गया था, जो उन्हें समित कदम नामक एक व्यक्ति ने दिया था, जो अप्रैल 2022 में उनके बंगले पर उनसे मिला था.

Advertisement

अनिल देशमुख ने अपनी किताब में दावा किया है कि अप्रैल 2021 के आखिरी हफ्ते में एक व्यक्ति ने उनसे संपर्क किया और खुद को देवेंद्र फडणवीस से जुड़ा बताते हुए सांगली से समित कदम बताया. उस शख्स ने दावा किया कि देवेंद्र फडणवीस मेरे खिलाफ जो कुछ भी हुआ, उसमें मेरी मदद करना चाहते थे. देशमुख ने कहा कि उन्हें आश्चर्य हुआ कि देवेंद्र फडणवीस उनसे सीधे बात कर सकते थे लेकिन उन्होंने देशमुख से मिलने के लिए एक अज्ञात व्यक्ति को भेजा. 

इसके बाद देशमुख ने सोशल मीडिया पर उस व्यक्ति की प्रोफाइल चेक की और पाया कि उसमें देवेंद्र फडणवीस के साथ उसकी कई तस्वीरें हैं और वह जन सुराज्य शक्ति पार्टी का हिस्सा है जो बीजेपी का समर्थन कर रही है. समित कदम ने देशमुख से कहा कि फडणवीस उनके बात करना चाहते हैं और उन्होंने अपने फोन से व्हाट्सऐप या फेसटाइम पर एक नंबर डायल किया. देशमुख लिखते हैं, 'मैं समझ गया कि फडणवीस अपने या मेरे फोन से मुझसे सीधे बात करने का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं.'

किताब में दावा किया गया है कि कदम ने फेसटाइम या व्हाट्सएप से एक नंबर डायल किया और कथित तौर पर फडणवीस से बात कराई.

देशमुख ने किताब में आगे लिखा, 'फडणवीस मुझे भाऊ कहते हैं और उस दिन भी उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि भाऊ आप चिंता न करें, हम जानते हैं कि आपके खिलाफ मामला मजबूत नहीं है और हम आपकी मदद करेंगे. उसके बाद समित एक हफ्ते बाद फिर आया और उसने अपनी कार आधिकारिक बंगले से दूर हैंगिंग गार्डन में पार्क की ताकि कार का नंबर बंगले के प्रवेश द्वार पर रिकॉर्ड में न हो. उसने मुझे बताया कि फडणवीस ने उसे मुझसे से यह कहने के लिए कहा है कि ईडी अधिकारी आपके मेरे आएंगे और फिर कुछ सवाल पूछेंगे और फिर मामला बंद हो जाएगा.' 

Advertisement

किताब में आगे दावा किया गया है, 'इसके बाद समित ने मुझसे कहा कि मुझे (देशमुख) दिशा सालियन की मौत के मामले में आदित्य ठाकरे की भूमिका और अजित दादा, उनके बेटे पार्थ, उद्धव ठाकरे और अनिल परब से जुड़े अन्य पॉइंट्स पर हलफनामा दाखिल करना है. तब मैं परेशान हो गया कि उन्होंने अजित दादा का नाम कैसे ले लिया, जबकि बीजेपी ने तो अजित दादा के साथ सरकार बनाई थी. तब समित के पास कोई जवाब नहीं था और मैंने गुस्सा होकर कहा कि मैं फर्जी हलफनामा दाखिल नहीं करूंगा और देवेंद्र फडणवीस इस स्तर तक गिर गए हैं कि जो लोग उनके साथ सरकार में हैं उन्हें फंसा रहे हैं. और मैंने समित से कहा कि मेरे पास कभी वापस मत आना. इसके बाद समित एक दिन बाद वापस आया और कहा कि फडणवीस ने कहा है कि अजित दादा के नाम को लेकर परेशान होना स्वाभाविक है क्योंकि वे एक ही पार्टी के हैं और इसलिए अजित पवार से जुड़ा पॉइंट हटाया जा सकता है.'

Live TV

Advertisement
Advertisement