हरियाणा में हाई वोल्टेज प्रचार अभियान चलाने और अरविंद केजरीवाल को 'हरियाणा की मिट्टी का बेटा' के रूप में पेश करने के बावजूद, आम आदमी पार्टी को इस हिंदी भाषी राज्य में भारी निराशा हाथ लगी है. पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली. राज्य इकाई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा को भी बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है. दिल्ली और पंजाब में सरकार चलाने वाली आप को इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनावों में भी कोई चुनावी सफलता नहीं मिली थी.
कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए बातचीत सफल नहीं हो पाने के बाद आप ने विधानसभा चुनाव अकेले लड़ा था. अपने चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अगर वह तीन-चार महीने पहले जेल से रिहा हो जाते, तो चुनाव के बाद उनकी पार्टी राज्य में अपनी सरकार बना लेती.
पार्टी ने केजरीवाल को 'हरियाणा का लाल' के रूप में पेश किया और उनके नाम पर वोट मांगे. पार्टी ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए मुफ्त और चौबीसों घंटे बिजली, सरकारी स्कूलों और अस्पतालों का कायाकल्प, मुफ्त और अच्छी शिक्षा, मोहल्ला क्लीनिक की स्थापना और महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये देने सहित कई "गारंटियों" की घोषणा की थी.
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कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर बात नहीं बनने के बाद AAP ने हरियाणा की 90 में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ा था. साल 2019 के हरियाणा चुनाव में भी AAP ने 46 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी जगह उसे हार का सामना करना पड़ा था. आम आदमी पार्टी को तक NOTA से भी कम वोट शेयर प्राप्त हुआ था. साल 2014 में अपनी चुनावी शुरुआत के बाद से, AAP हरियाणा में किसी भी विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव में अपना खाता खोलने में विफल रही है.
अरविंद केजरीवाल पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने पूर्व मुख्यमंत्री पर इंडिया ब्लॉक के साथ 'विश्वासघात' करने और कांग्रेस के वोट काटने का आरोप लगाया. उनकी यह टिप्पणी तब आई जब चुनाव परिणाम के शुरुआत रुझानों में बैकफुट पर रहने के बाद भाजपा ने जबरदस्त वापसी की और राज्य में लगातार तीसरी जीत हासिल करने की राह पर आगे बढ़ी.
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स्वाति मालीवाल ने किसी का नाम लिए बिना X पर एक पोस्ट में लिखा, 'सिर्फ कांग्रेस से बदला लेने के लिए हरियाणा में उतरे. मुझपे BJP एजेंट होने के झूठे आरोप लगाए, खुद आज INDIA अलायंस से गद्दारी करके INC की वोट काट रहे हैं! सब छोड़ो, विनेश फोगाट तक को हराने के लिए प्रत्याशी उतारा. क्यों ऐसा हाल आ गया है कि अपने गृह राज्य में जमानतें नहीं बचा पा रहे? अब भी वक्त है, अहंकार छोड़ो, धुंधली आंखों से पर्दा हटाओ, ड्रामा मत करो और जनता के लिए काम करो'
दिल्ली शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने और तिहाड़ जेल से उनके रिहा होने के बाद हरियाणा में AAP के चुनाव अभियान को बड़ी मजबूती मिली थी. उन्होंने पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया और अपने भाषणों में दावा किया था कि हरियाणा में अगली सरकार पार्टी के समर्थन के बिना नहीं बनेगी. हालांकि, नतीजों से पता चलता है कि AAP अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रही और अरविंद केजरीवाल के प्रचार करने से भी कोई फर्क नहीं पड़ा और आम आदमी पार्टी राज्य में अपना खाता भी नहीं खोल सकेगी.