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चुनाव जम्मू-कश्मीर में, लेकिन 24 सीटें PoK के लिए रिजर्व... जानिए 1956 से चला आ रहा ये नियम क्या है?

जम्मू कश्मीर में परिसीमन के बाद विधानसभा सीटें बढ़ कर 90 हो गईं हैं. राज्य के इतिहास में पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें आरक्षित हैं. अनुसूचित जाति के लिए भी सीटों का आरक्षण है. नई विधानसभा में महिलाओं की संख्या भी बढ़ेगी. जम्मू संभाग में पहले 37 सीटें थीं, जो अब बढ़कर 43 हो गईं.

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जम्मू कश्मीर विधानसभा. (Photo: Reuters)
जम्मू कश्मीर विधानसभा. (Photo: Reuters)

जम्मू कश्मीर को जल्दी ही चुनी हुई सरकार मिलने जा रही है. इलेक्शन कमीशन लोकसभा चुनाव में लोगों की बढ़ी भागीदारी से बेहद उत्साहित है, इसीलिए 30 सितंबर तक चुनाव कराने की सुप्रीम कोर्ट की तय समय-सीमा से पहले चुनाव संपन्न कराने की तैयारी की है. राज्य में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. इस बार परिस्थितियां थोड़ी अलग हैं. जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश है.

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परिसीमन के बाद राज्य में विधानसभा सीटें बढ़ कर 90 हो गईं हैं. जम्मू कश्मीर के इतिहास में पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें आरक्षित हैं. अनुसूचित जाति के लिए भी सीटों का आरक्षण है. नई विधानसभा में महिलाओं की संख्या भी बढ़ेगी. जम्मू संभाग में पहले 37 सीटें थीं, जो अब बढ़कर 43 हो गईं. इसी तरह कश्मीर संभाग में पहले 46 सीटें थीं, जो अब बढ़कर 47 हो गईं हैं. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लिए 24 सीटें होंगी. पहले जम्मू कश्मीर विधानसभा में 107 सीटें थीं जो अब 114 हो गईं हैं. पहले दो मनोनीत सदस्य थे, अब यह संख्या पांच होगी. विस्थापित कश्मीरियों के लिए भी दो सीटें आरक्षित हैं.

भारत का अभिन्न अंग है पीओके

कई लोग जानकारी के अभाव में इस बात पर हैरान होते हैं कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर (पीओके) के लिए सीटें क्यों रखी गईं हैं? दरअसल, परिसीमन के बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा में सदस्यों की संख्या 114 है, जिनमें 24 सीटें पीओके के लिए हैं. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है- जम्मू-कश्मीर का यह इलाका पाकिस्तान के कब्जे में है, इसीलिए इसे पीओके कहा जाता है. पीओके और अक्साई चिन दोनों ही भारत का अभिन्न अंग हैं. एक ना एक दिन ये इलाके दुश्मन के कब्जे से आजाद होंगे और वापस भारत में मिलेंगे.

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1994 में पारित किया गया था ऐतिहासिक प्रस्ताव

1956 में जब जम्मू कश्मीर का अलग संविधान बनाया गया था, तब से ही पीओके की 24 सीटें जम्मू कश्मीर विधानसभा में होती आई हैं. जब अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म किया गया तब भी इन 24 सीटों को बरकरार रखा गया. 22 फरवरी 1994 को भारतीय संसद ने सर्वसम्मति से एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया था. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि पाकिस्तान भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर के उन इलाकों को खाली करे जिस पर उसने आक्रमण के जरिए कब्जा किया है.

जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव

जम्मू कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं. राज्य में चुनावी हलचल शुरू हो गई है. आज विधानसभा चुनाव की तारीख आ सकती है. चुनाव आयोग दोपहर 3 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा. हाल ही में ही मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जम्मू कश्मीर का दौरा किया था. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में 30 सितंबर से पहले चुनाव कराने का आदेश दिया था.

कुल 90 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से 74 सामान्य, 9 एसटी और 7 एससी हैं. जम्मू-कश्मीर में कुल 87.09 लाख मतदाता हैं. इनमें से 44.46 लाख पुरुष, 42.62 महिलाएं, 169 ट्रांसजेंडर, 82,590 दिव्यांग, 73943 अति वरिष्ठ नागरिक, 2660 शतायु, 76092 सेवा मतदाता और 3.71 लाख पहली बार मतदाता हैं.

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