भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने से ठीक एक दिन पहले हरियाणा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी. बीजेपी की ओर से जारी की गई जंबो लिस्ट में कुल 90 में से 67 विधासनभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम हैं. पांच नेता पुत्र-पुत्रियों के नाम हैं. ओबीसी का दबदबा है तो भजनलाल और बंसीलाल, दो परिवारों का भी पूरा ध्यान रखा गया है. अहीरवाल बेल्ट की सीटों पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की पसंद भारी पड़ी है तो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए लोगों का भी पूरा खयाल नजर आता है. बीजेपी की पहली लिस्ट के समीकरण क्या हैं?
1- ओबीसी पर फोकस, जाट को भी तरजीह
हरियाणा में बीजेपी गैर जाट राजनीति पर फोकस कर चलती आई है. लोकसभा चुनाव में जाट मतदाताओं की कांग्रेस के पक्ष में गोलबंदी, बीजेपी से नाराजगी के बाद ऐसा कहा जा रहा था कि पार्टी टिकट बंटवारे में भी गैर जाट कार्ड चल सकती है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. पहली लिस्ट के 67 नाम में से सबसे ज्यादा 14 ओबीसी को टिकट दिया गया है. बीजेपी ने गुर्जर, यादव, कश्यप, कम्बोज, राजपूत और सैनी, सबको जगह दी है. ओबीसी के साथ ही, बीजेपी ने 13 जाट और 13 दलित नेताओं पर भी दांव लगाया है. दलित समाज से वाल्मिकी, धानुक, बावरिया, बाजीगर के साथ ही जाटव समाज से उम्मीदवार दिए गए हैं.
बीजेपी ने जाट और दलित, दोनों ही समाज को ओबीसी के करीब-करीब बराबर ही टिकट दिया है तो इसके पीछे भी विपक्ष की रणनीति को काउंटर करने की कोशिश है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार के प्रभाव की वजह से कांग्रेस की इमेज हरियाणा में जाट पार्टी वाली रही है. हालिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस इमेज से निकलने की कोशिश में गैर जाट नेताओं को टिकट वितरण में तरजीह देने की रणनीति पर काम किया और इसके अच्छे नतीजे भी मिले. कांग्रेस सूबे की 10 में से पांच सीटें जीतने में सफल रही तो इसके पीछे गैर जाट नेताओं पर दांव लगाने की रणनीति को श्रेय दिया गया.
कांग्रेस विधानसभा चुनाव में भी इसी रणनीति के साथ जाने की तैयारी में है. उम्मीदवार की जाति, जाट और मुस्लिम-दलित गोलबंदी के सहारे सूबे की सत्ता से 10 साल का वनवास समाप्त करने की कोशिशों में जुटी कांग्रेस को अब बीजेपी ने जाट कार्ड से जाट गेम में फंसा दिया है. बीजेपी ने बनिया और ब्राह्मण जैसे कोर वोटर के साथ ही बिश्नोई, पंजाबी, सिख, राजपूत और जाट सिख वर्ग से आने वाले चेहरों को भी चुनावी रण में उतारा है.
2- जातीय गणित के साथ महिला कार्ड
बीजेपी ने पहली लिस्ट में जातीय गणित साधने की कोशिश की ही है, जाति-वर्ग से ऊपर उठकर अपना साइलेंट वोटर माने जाने वाले महिला वोटबैंक का भी ध्यान रखा है. पार्टी ने 67 उम्मीदवारों की लिस्ट में आठ महिलाओं को भी टिकट दिया है. पार्टी ने कालका से शक्ति रानी शर्मा, मुलाना (सुरक्षित) से संतोष सरवन, कलायत से कमलेश ढांडा, रतिया (सुरक्षित) से सुनीता दुग्गल, कलानौर (सुरक्षित) से रेनू डाबला, गढ़ी सांपला किलोई से मंजू हुड्डा को टिकट दिया है. तोशाम से श्रुति चौधरी और अटेली से बीजेपी ने आरती सिंह राव को उम्मीदवार बनाया है. महिला कार्ड के पीछे पार्टी की रणनीति पहलवानों के आंदोलन और पोर्टल के जरिये योजनाओं के लाभ मिलने में आ रही समस्याओं से नाराजगी को कम करने की है. पार्टी छोटे-छोटे वोट ब्लॉक्स को साधने की कोशिश कर ही रही है, अपने कोर वोटर को मनाने की रणनीति पर भी काम कर रही है.
3- विपक्ष के दो परिवारों की काट दो 'लाल' के परिवार
हरियाणा की राजनीति में परिवार प्रभावी रहे हैं. हरियाणा के चर्चित सियासी परिवारों में तीन लाल के परिवार भी हैं- भजनलाल, बंसीलाल और देवीलाल. कांग्रेस के पास हुड्डा परिवार है तो वहीं देवीलाल की विरासत को चौटाला परिवार की इंडियन नेशल लोक दल (आईएनएलडी) और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) आगे बढ़ा रहे हैं.
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विपक्ष में हुड्डा और देवीलाल के परिवार की चुनौती से पार पाने के लिए बीजेपी ने बाकी के दो लाल- भजनलाल और बंसीलाल के परिवार को तरजीह दी है. बंसीलाल की बहु किरण चौधरी हाल ही में बीजेपी में शामिल हुई थीं और पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया है. अब बीजेपी ने किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को तोशाम सीट से विधानसभा चुनाव में उतारा है. भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भी बीजेपी में हैं और पार्टी ने उनके बेटे भव्य बिश्नोई को आदमपुर सीट से टिकट दिया है.
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लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा कहा जाने लगा था कि बीजेपी ने कुलदीप बिश्नोई को किनारे लगा दिया है लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पहले उन्हें प्रदेश चुनाव समिति का सदस्य, चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया और अब बेटे के साथ ही करीबियों को भी टिकट दे दिया है. बीजेपी की पहली लिस्ट में कुलदीप की पसंद का खयाल रखते हुए पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. इनमें आदमपुर से उनके बेटे भव्य बिश्नोई के साथ ही नलवा से रणधीर पनिहार, फतेहाबाद से डूडाराम बिश्नोई, बरवाला से रणबीर गंगवा और समालखा से मनमोहन भड़ाना के नाम शामिल हैं. डूडाराम बिश्नोई, कुलदीप के चचेरे भाई भी हैं.
4- एंटी इनकम्बेंसी की काट के लिए नए चेहरों पर दांव
बीजेपी ने एंटी इनकम्बेंसी से निपटने के लिए सैनी सरकार के मंत्रियों समेत नौ विधायकों के टिकट काट दिए हैं. पार्टी ने कई विधायकों की सीट बदल दी है तो साथ ही नए चेहरों पर भी दांव लगाया है. बीजेपी की पहली लिस्ट में 27 नए चेहरे हैं. युवाओं को भी टिकट बंटवारे में तरजीह दी गई है. बीजेपी ने पलवल से दीपक मंगला, बवानी खेड़ा से विश्वंभर वाल्मीकि, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता, गुरुग्राम से सुधीर सिंगला, सोहना से राज्यमंत्री संजय सिंह, अटेल से सीताराम यादव, पेहवा से पूर्व मंत्री संदीप सिंह, सोहना से राज्य मंत्री संजय सिंह और रतिया से लक्ष्मण नापा का टिकट काट दिया है.
5- बाहरियों पर दांव, नेता पुत्र-पुत्रियों को भी टिकट
बीजेपी ने दूसरे दलों से आए नेताओं पर दांव लगाने के साथ ही नेता पुत्र-पुत्रियों को भी उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने जेजेपी से आए चार नेताओं- देवेंद्र बबली, रामकुमार गौतम, पवन कुमार और संजय काबलाना को चुनाव मैदान में उतारा है. पार्टी ने कांग्रेस से आए निखिल मदान, भव्य बिश्नोई और श्रुति चौधरी, हरियाणा जनचेतना पार्टी से आईं अंबाला की मेयर शक्ति रानी शर्मा और आईएनएलडी से आए श्याम सिंह राणा को भी टिकट दिया है.
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नेता पुत्र-पुत्रियों की बात करें तो बीजेपी ने कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई, किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव, करतार भडाना के बेटे मनमोहन भडाना और सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान को टिकट दिया है.
बीजेपी की पहली लिस्ट का संदेश क्या
हरियाणा में हैट्रिक लगाने की कोशिशों में जुटी बीजेपी ने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट के जरिये ये संदेश दे दिया है कि वह अब जाट पॉलिटिक्स की पिच पर प्रतिद्वंदियों को वॉकओवर नहीं देने वाली. पार्टी अब ओबीसी वोटबैंक के साथ जाट और दलित को मिलाकर वोटों का नया समीकरण गढ़ने की कोशिश में है. परिवारवाद की पिच पर विरोधी दलों को घेरती आई बीजेपी प्रभावशाली परिवारों से आने वाले नेताओं, नेता पुत्र-पुत्रियों को टिकट देने से भी परहेज नहीं करेगी बशर्ते चुनावी सर्वे में उनके जीतकर आने की संभावनाएं अधिक हों.