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महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए प्रचार थमा, जानें 2019 से कितना अलग है इस बार का चुनाव

महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर सोमवार को प्रचार थम गया. सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने जहां सत्ता बनाए रखने का दावा किया तो वहीं महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन ने मजबूती से वापसी की उम्मीद जताई है. वोटिंग 20 नवंबर को होनी है और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.

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महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए प्रचार थमा.
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए प्रचार थमा.

महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर सोमवार को प्रचार थम गया. सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने जहां सत्ता बनाए रखने का दावा किया तो वहीं महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन ने मजबूती से वापसी की उम्मीद जताई है. वोटिंग 20 नवंबर को होनी है और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे.

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इन बड़े नेताओं ने किया प्रचार

चुनावी प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कई केंद्रीय मंत्रियों ने राज्य भर में अपने उम्मीदवारों के लिए वोट जुटाने के लिए दौरा किया.

महायुति और एमवीए में मुकाबला

महायुति गठबंधन में भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) शामिल है. महायुति अपनी लोकप्रिय योजनाओं जैसे "माझी बहन, माझी लडकी" के माध्यम से महिलाओं को सहायता देकर सत्ता बनाए रखने की कोशिश कर रही है. वहीं, बीजेपी ने बंटेगें तो कटेंगे जैसे नारों के इस्तेमाल से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की.

वहीं, महाविकास अघाड़ी (MVA), जिसमें कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और एनसीपी (शरद पवार) शामिल हैं. वह राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार और कुशासन का आरोप लगा रही हैं. 

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MVA ने सत्तारूढ़ गठबंधन की बयानबाजी का जवाब जाति आधारित जनगणना, सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके दिया. विपक्षी पार्टियों का लक्ष्य उन मतदाताओं को आकर्षित करना था जो सरकार से उपेक्षित महसूस कर रहे थे.

चुनाव से पहले, भाजपा ने सोमवार को विपक्षी MVA पर हमला करते हुए "कांग्रेस से कहो नहीं" अभियान लॉन्च किया. इस अभियान में अतीत की घटनाओं को उजागर किया गया, जिसमें 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले और पालघर में साधुओं की हत्या जैसी घटनाएं शामिल थीं.

यह भी पढ़ें: क्या महाराष्ट्र चुनावों में बीजेपी की जीत या हार से तय होगा योगी आदित्यनाथ का भविष्य?

बता दें कि बीजेपी 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, शिवसेना 81 सीटों पर, और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी 59 सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है.

वहीं, कांग्रेस के 101 उम्मीदवार मैदान में हैं. शिवसेना (UBT) ने 95, और एनसीपी (SP) ने 86 उम्मीदवार खड़े किए हैं. छोटी पार्टियाँ, जिनमें बहुजन समाज पार्टी (BSP) और आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) भी चुनावी मैदान में हैं, BSP ने 237 उम्मीदवार उतारे हैं, और AIMIM ने 17 उम्मीदवार उतारे हैं.

2019 से कितना अलग है चुनाव

इस बार उम्मीदवारों की संख्या 2019 विधानसभा चुनावों के मुकाबले 28 प्रतिशत बढ़ी है. इस साल 4,136 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि 2019 में यह संख्या 3,239 थी. इन उम्मीदवारों में से 2,086 स्वतंत्र उम्मीदवार हैं. पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 9,63,69,410 हो गई है, जो 2019 में 8,94,46,211 थी, यानी इस बार 69,23,199 नए मतदाता जुड़े हैं. लगभग छह लाख राज्य सरकार के कर्मचारी चुनावी कार्यों में शामिल होंगे.

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